Book Name:Hazrat Musa Ki Shan o Azmat

ले कर मेरे मुंह में कुल्ली कर दे । मगर जब तक वोह पानी इसराईली औ़रत के मुंह में रहा पानी था, जब फ़िरऔ़नी औ़रत के मुंह में पहुंचा, तो ख़ून हो गया । फ़िरऔ़न ख़ुद प्यास से बेचैन हुवा, तो उस ने तर दरख़्तों की रत़ूबत चूसी, वोह रत़ूबत मुंह में पहुंचते ही ख़ून हो गई । सात रोज़ तक ख़ून के सिवा कोई चीज़ पीने की न मिली, तो फिर ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام से दुआ़ की दरख़ास्त की और ईमान लाने का वादा किया । ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने दुआ़ फ़रमाई, येह मुसीबत भी दूर हुई मगर वोह ईमान फिर भी न लाए । (تفسیربغوی ، الاعراف ، تحت الآیۃ : ۱۳۳ ، ۲ / ۱۵۹-۱۶۱)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ज़ीनत की सुन्नतें और आदाब

          आइए ! मक्तबतुल मदीना की किताब “ सुन्नतें और आदाब “ सफ़ह़ा नम्बर 78 से ज़ीनत की सुन्नतें और आदाब सुनिए : ٭ इन्सान के बालों की चोटी बना कर औ़रत अपने बालों में गूंधे, येह ह़राम है । ह़दीसे मुबारक में उस पर लानत आई बल्कि उस पर भी लानत आई है जिस ने किसी दूसरी औ़रत के सर में इन्सानी बालों की चोटी गूंधी । (درمختار ، کتاب الحظروالاباحۃ ، باب فی النظرِ والمس ، ۹ / ۶۱۴تا ۶۱۵) ٭ अगर वोह बाल जिस की चोटी बनाई गई, ख़ुद उस औ़रत के अपने बाल हैं जिस के सर में जोड़ी गई, जब भी नाजाइज़ है । (درمختار ، کتاب الحظروالاباحۃ ، ج۹ ، ص۶۱۴تا ۶۱۵) ٭ औ़रतों को हाथ, पाउं में मेहंदी लगाना जाइज़ है । छोटे बच्चों के हाथ, पाउं में मेहंदी लगाना नाजाइज़ है, बच्चियों को मेहंदी लगाने में ह़रज नहीं । (ردالمحتار ، کتاب الحظر والاباحۃ ، فصل فی اللبس ، ۹ / ۵۹۹ ملتقطاً) ٭ जिस त़रह़ मर्दों को औ़रतों की नक़्ल जाइज़ नहीं, इसी त़रह़ औ़रतें भी मर्दों की नक़्ल नहीं कर सकतीं । जैसा कि ह़ज़रते सय्यिदुना इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا से रिवायत है कि रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने लानत फ़रमाई ज़नाना मर्दों पर जो औ़रतों की सूरत बनाएं और मर्दानी औ़रतों पर जो मर्दों की सूरत बनाएं । (مسند امام احمد ، مسند عبد اللہ بن عباس ، حدیث : ۲۲۶۳ ، ۱ / ۵۴۰) ٭ ख़वातीन अपने शौहर के लिए जाइज़ अश्या के ज़रीए़ मगर घर की चार दीवारी में ज़ीनत करें लेकिन मेकअप कर के और बन संवर के घर से बाहर न निकला करें कि हमारे प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : औ़रत पूरी की पूरी औ़रत (यानी छुपाने की चीज़) है, जब कोई औ़रत बाहर निकलती है, तो शैत़ान उसे झांक झांक कर देखता है । (ترمذی ، کتاب الرضاع ، باب(۱۸) ، حدیث : ۱۱۷۶ ، ۲ / ۳۹۲)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد