Book Name:Sadqa ke Fawaid

बरबाद करने और उन्हें गुमराही के गढ़े में गिराने की कोशिशों में मश्ग़ूल हैं, ऐसे में दावते इस्लामी उम्मीद की किरन बन कर चमकी और इस मदनी तह़रीक ने उम्मत की डूबती हुई किश्ती को सहारा देने, पूरी दुन्या में तालीमे क़ुरआनो सुन्नत को आ़म करने, नूरे क़ुरआन से सीनों को सरशार और उम्मते मुस्त़फ़ा को ख़्वाबे ग़फ़्लत से बेदार करने के जज़्बे के तह़्त मुख़्तसर अ़र्से में बहुत से मुल्कों और शहरों में बच्चों और बच्चियों के लिए हज़ारों मदारिस बनाम "मद्रसतुल मदीना" जब कि इस्लामी भाइयों और इस्लामी बहनों की तालीमो तरबियत के लिए जामिआ़त बनाम "जामिअ़तुल मदीना" की बुन्याद रखी, जहां पर उन्हें ज़ेवरे क़ुरआन व इ़ल्मे दीन नीज़ शरई़ और अख़्लाक़ी तरबियत से आरास्ता करने का ख़ुसूसिय्यत के साथ एहतिमाम किया जाता है ताकि दौरे त़ालिबे इ़ल्मी से फ़राग़त के बाद क़ौम के येह ह़क़ीक़ी मेमार मुआ़शरे के बिगाड़ को सुधारने में अपना किरदार अदा करते हुवे अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के अ़त़ा कर्दा इस मक़्सद के तह़्त ज़िन्दगी गुज़ारने वाले बन जाएं कि "मुझे अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश करनी है, اِنْ شَآءَ اللّٰہ ।"

          याद रखिए ! दावते इस्लामी के तह़्त चलने वाले मदारिसुल मदीना व जामिआ़तुल मदीना दीनी फ़ज़ीलत के लिह़ाज़ से बहुत अहम्मिय्यत के ह़ामिल हैं, येही वज्ह है कि इन मदारिसुल मदीना व जामिआ़तुल मदीना को क़ाइम रखने के लिए इन पर सालाना करोड़ों नहीं, अरबों रुपये ख़र्च किए जाते हैं । लिहाज़ा आप से भी अ़र्ज़ है कि त़लबए इ़ल्मे दीन की दुआ़ओं से ह़िस्सा पाने, दावते इस्लामी की तरक़्क़ी और मदारिसुल मदीना व जामिआ़तुल मदीना के निज़ाम को मज़बूत़ से मज़बूत़ तर बनाने के लिए अपनी ज़कात, फ़ित़्रात, सदक़ात व ख़ैरात, नफ़्ली चन्दा और उ़श्र वग़ैरा के ज़रीए़ न सिर्फ़ ख़ुद तआ़वुन फ़रमाइए बल्कि अपने रिश्तेदारों, पड़ोसी इस्लामी बहनों और दूसरी इस्लामी बहनों पर इनफ़िरादी कोशिश कर के उन्हें भी इस की तरग़ीब दिलाइए, हमारे लब हिला लेने और हमारी इनफ़िरादी कोशिश से अगर किसी का ज़ेहन बन गया और उस ने अपनी ज़कात, फ़ित़्रात, सदक़ात व ख़ैरात, नफ़्ली चन्दा या उ़श्र वग़ैरा दावते इस्लामी को मदनी कामों के लिए दे दिए, तो येह हमारे लिए भी सवाबे जारिया का ज़रीआ़ बन जाएगा ।

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ हज़ारों आ़शिक़ाने रसूल मुख़्तलिफ़ अन्दाज़ से दावते इस्लामी के मदनी कामों के लिए माली मदद की सआ़दत ह़ासिल करते रेहते हैं । हो सकता है कि हम में से किसी के ज़ेहन में सुवाल आए कि मैं किस त़रह़ अपना ह़िस्सा दावते इस्लामी के मदनी कामों में शामिल कर सकती हूं ? आइए ! एक बहुत ही आसान त़रीक़ा आप की ख़िदमत में अ़र्ज़ करती हूं कि जिस के ज़रीए़ ग़रीब से ग़रीब भी दावते इस्लामी के चन्दे में अपना ह़िस्सा शामिल करने में काम्याब हो सकती है ।  वोह क्या है ? "घरेलू सदक़ा बक्स" के ज़रीए़ माली तआ़वुन । जो घरों में बक्स रखा जाता है, उसे "घरेलू सदक़ा बक्स" केहते हैं ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد