Book Name:Jahannam Say Bachany Waly Aamal

बद नसीब लोग

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! देखा आप ने ! शबे क़द्र किस क़दर अ़ज़मत वाली रात है, इस रात में हर ख़ासो आ़म को बख़्श दिया जाता है ता हम आ़दी शराबी, मां-बाप के ना फ़रमान, क़त़ए़ रेह़मी करने वाले और बिला मस्लह़ते शरई़ आपस में कीना रखने वाले और इस सबब से आपस में तअ़ल्लुक़ात मुन्क़त़ेअ़ करने वाले इस आ़म बख़्शिश से मह़रूम कर दिये जाते हैं ।

तौबा कर लो !

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अल्लाह करीम के क़हरो जलाल से लरज़ जाने के लिये क्या येह बात काफ़ी नहीं ? और शबे क़द्र जैसी बा बरकत रात भी जिन मुजरिमों की बख़्शिश नहीं की जा रही, वोह किस क़दर शदीद मुजरिम होंगे ! हां अगर इन गुनाहों से सिद्के़ दिल से तौबा कर ली जाए और ह़ुक़ूक़ुल इ़बाद वाले मुआ़मलात भी ह़ल कर लिये जाएं, तो अल्लाह पाक का फ़ज़्लो करम बेह़द व बे इन्तिहा है । बस हमें तमाम गुनाहों से तौबा करते हुवे नेकियों में मश्ग़ूल हो जाना चाहिये, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ وَجَلَّ इस की बरकत से अल्लाह पाक हमारे गुनाहों को मुआ़फ़ फ़रमा कर दाख़िले जन्नत फ़रमा देगा । जैसा कि पारह 5, सूरतुन्निसा, आयत नम्बर 31 में इरशाद होता है :

اِنْ تَجْتَنِبُوْا كَبَآىٕرَ مَا تُنْهَوْنَ عَنْهُ نُكَفِّرْ عَنْكُمْ سَیِّاٰتِكُمْ وَ نُدْخِلْكُمْ مُّدْخَلًا كَرِیْمًا(۳۱) ۵،النساء:۳۱)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : अगर कबीरा गुनाहों से बचते रहो जिन से तुम्हें मन्अ़ किया जाता है, तो हम तुम्हारे दूसरे गुनाह बख़्श देंगे और तुम्हें इ़ज़्ज़त की जगह दाख़िल करेंगे ।

          सदरुल अफ़ाज़िल सय्यिद मुह़म्मद नई़मुद्दीन मुरादाबादी عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالْھَادِی इस आयते मुबारका की तफ़्सीर में फ़रमाते हैं : कुफ़्रो शिर्क तो न बख़्शा जाएगा अगर आदमी इसी पर मरा (अल्लाह की पनाह) बाक़ी तमाम गुनाहे सग़ीरा हों या कबीरा, अल्लाह पाक की मशिय्यत में है चाहे इन पर अ़ज़ाब करे, चाहे मुआ़फ़ फ़रमाए । (ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान, पारह 5, सूरतुन्निसा तह़तुल आयत : 31, स. 149)