Book Name:Seerate Imam Ahmad Bin Hamnbal

पाबन्दी के साथ शिर्कत कीजिए, ज़ैली ह़ल्के़ के मदनी काम कीजिए और मदनी इनआ़मात पर अ़मल करते हुवे रोज़ाना ग़ौरो फ़िक्र कीजिए, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से मुरीद हो जाइए, इन नेक कामों में मश्ग़ूलिय्यत की बरकत से आप अपने अन्दर ह़ैरत अंगेज़ तब्दीलियां मह़सूस करेंगी । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! तक़्वा व परहेज़गारी अल्लाह पाक की बहुत अ़ज़ीमुश्शान नेमत है । क़ुरआने करीम और अह़ादीसे रसूल में कई मक़ामात पर तक़्वा और मुत्तक़ी लोगों के फ़ज़ाइल बयान हुवे हैं । चुनान्चे,  (1) अल्लाह पाक की बारगाह में इ़ज़्ज़त वाला वोह है, जो मुत्तक़ी है । (حجرات:۱۳) (2) अल्लाह पाक मुत्तक़ी लोगों के साथ है । (بقرہ:۱۹۴) (3) अल्लाह पाक मुत्तक़ी लोगों को पसन्द फ़रमाता है । (اٰل عمران:۷۶) (4) जन्नत मुत्तक़ी लोगों के लिए तय्यार की गई है । (اٰل عمران:۱۳۳) (5) क़ियामत के दिन मुत्तक़ी लोगों को मेहमान बना कर अल्लाह पाक की बारगाह में ह़ाज़िर किया जाएगा । ( مریم:۸۵) (6) मुत्तक़ी लोगों के लिए अल्लाह पाक के पास नेमतों वाली जन्नतें हैं । (قلم:۳۴) (7) अल्लाह पाक मुत्तक़ी लोगों का मददगार है । (جاثیہ:۱۹) (8) मुत्तक़ी लोग क़ियामत के दिन एक दूसरे के दोस्त होंगे । (زخرف:۶۷) (9) मुत्तक़ी लोग अमन वाले मक़ाम में होंगे । (دخان:۵۱) (10) आख़िरत का अच्छा अन्जाम मुत्तक़ी लोगों के लिए है । (ہود:۵۱) (11) तक़्वा फ़ज़ीलत ह़ासिल होने का सबब है । (معجم اوسط،باب العین،من اسمہ:عبد الرحمن،۳/۳۲۹، حدیث:۴۷۴۹، مفہوما) (12) तक़्वा बेहतरीन ज़ादे राह है । (کنزالعمال،کتاب الاخلاق،قسم الاقوال، الباب الاول،الفصل الثانی،۲/۴۱،الجزء الثالث،حدیث:۵۶۳۲) (13) जिसे तक़्वा अ़त़ा किया गया, उसे दीनो दुन्या की बेहतरीन चीज़ दी गई । (کنزالعمال،کتاب الاخلاق،قسم الاقوال،الباب الاول،الفصل الثانی،۲/۴۱،الجزء الثالث، حدیث:۵۶۳۸) (14) तक़्वा आख़िरत का शरफ़ है । (فردوس الاخبار،باب الشین،۲/۵، حدیث:۳۴۱۸) (15) मुत्तक़ी लोग सरदार हैं । (کنز العمال،کتاب الاخلاق،قسم الاقوال،الباب الاول،الفصل الثانی،۲/۴۱، الجزء الثالث، حدیث: ۵۶۵۰) (सिरात़ुल जिनान, 8 / 496)  

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ह़ज़रते इमाम अह़मद बिन ह़म्बल رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की ज़ाते मुबारक में तक़्वा व परहेज़गारी का माद्दा कूट कूट कर भरा हुवा था, आप के तक़्वा का आ़लम येह था कि ह़राम व नाजाइज़ काम तो दूर की बात है, आप तो ऐसी चीज़ों से भी बहुत दूर रेहते थे जिन के ह़राम व ह़लाल और जाइज़ व नाजाइज़ होने में ज़र्रा बराबर भी शक मौजूद होता । आइए ! इस बारे में आप की सीरत के 2 ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़त सुनती हैं । चुनान्चे,

करोड़ों ह़म्बलिय्यों के अ़ज़ीम रेहनुमा, ह़ज़रते इमाम अह़मद बिन ह़म्बल رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के शहज़ादे, ह़ज़रते सालेह़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इस्फ़हान के क़ाज़ी थे । एक मरतबा ह़ज़रते इमाम अह़मद बिन ह़म्बल رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के ख़ादिम ने ह़ज़रते सालेह़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के बावर्ची ख़ाने से गूंधा हुवा आटा ले कर रोटी तय्यार कर के इमाम साह़िब की ख़िदमत में पेश की । आप ने पूछा : येह इस क़दर नर्म क्यूं है ? ख़ादिम ने गूंधा हुवा आटा लेने की कैफ़िय्यत बता दी । आप ने फ़रमाया : मेरा बेटा इस्फ़हान का