Book Name:Achy amaal ki barkaten
अख़्लाक़ी तरबियत व तक़्वा मिले, इस ग़रज़ से मैं ने "मदनी इनआ़मात" का सिलसिला शुरूअ़ किया । (जन्नत के त़लबगारों के लिए मदनी गुलदस्ता, स. 25) जब मुझे मालूम होता है कि फ़ुलां इस्लामी बहन का मदनी इनआ़मात पर अ़मल है, तो दिल बाग़ बाग़ बल्कि बाग़े मदीना हो जाता है या सुनता हूं कि फ़ुलां ने ज़बान और आंखों का या इन में से किसी एक का क़ुफ़्ले मदीना लगाया है, तो अ़जीब कैफ़ो सुरूर ह़ासिल होता है ।
मदनी इनआ़मात के मुत़ाबिक़ अ़मल करने वालों को अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपनी दुआ़ओं से किस त़रह़ नवाज़ते हैं । आइए ! हम भी सुनती हैं : अल्लाह पाक आप को मदीनए मुनव्वरा के सदा बहार फूलों की त़रह़ मुस्कुराता रखे, कभी भी आप की ख़ुशियां ख़त्म न हों, ज़िन्दगी व मौत, ह़ालते नज़्अ़ और क़ियामत के हौलनाक लम्ह़ात में हर जगह ख़ुशियां नसीब हों, अल्लाह पाक आप की और तमाम क़बीले की मग़फ़िरत करे, जन्नतुल फ़िरदौस में आप को अपने प्यारे ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का पड़ोस अ़त़ा फ़रमाए । (जन्नत के त़लबगारों के लिए मदनी गुलदस्ता, स. 33)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइए ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दावते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से सलाम करने की चन्द सुन्नतें और आदाब सुनती हैं : ٭ मुलाक़ात करते वक़्त उसे सलाम करना सुन्नत है । ٭ दिन में कितनी ही बार मुलाक़ात हो, एक कमरे से दूसरे कमरे में बार बार आना जाना हो, वहां मौजूद (मह़ारिम) मुसलमानों को सलाम करना सवाब का काम है । ٭ सलाम में पहल करना सुन्नत है । ٭ सलाम में पहल करने वाली अल्लाह पाक की मुक़र्रब है । ٭ सलाम में पहल करने वाली तकब्बुर से भी बरी है । जैसा कि हर ऐ़ब से पाक नबी صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का फ़रमाने बा सफ़ा है : पेहले सलाम केहने वाला तकब्बुर से बरी है । (شعب الایمان، ۶/۴۳۳) ٭ सलाम (में पहल) करने वाली पर 90 रह़मतें और जवाब देने वाली पर 10 रह़मतें उतरती हैं । (कीमियाए सआ़दत) ٭ اَلسَّلَامُ عَلَیۡکُمۡ केहने से 10 नेकियां मिलती हैं, साथ में وَرَحْمَۃُ اللهِ भी कहेंगी, तो 20 नेकियां हो जाएंगी और وَبَرَکَاتُہٗ शामिल करेंगी, तो 30 नेकियां हो जाएंगी । ٭ इसी त़रह़ जवाब में وَعَلَیْکُمُ السَّلَامُ وَرَحْمَۃُ اللهِ وَ بَرَکَاتُہٗ केह कर 30 नेकियां ह़ासिल की जा सकती हैं । ٭ सलाम का जवाब फ़ौरन देना वाजिब है । ٭ सलाम और जवाबे सलाम का दुरुस्त तलफ़्फ़ुज़ याद फ़रमा लीजिए । पेहले मैं केहती हूं, आप सुन कर दोहराइए : اَلسَّلَامُ عَلَیۡکُمۡ । अब पेहले मैं जवाब सुनाती हूं फिर आप इस को दोहराइए : وَعَلَیْکُمُ السَّلَام ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد