Book Name:Achy amaal ki barkaten

इसे अ़ज़ाब दे, तो येह उसी का ह़क़दार है और अगर तू इसे मुआ़फ़ कर दे, तो येह तेरे शायाने शान है, फिर मुझे अल वदाअ़ केहते हुवे वापस पलट आना । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के इन्तिक़ाल के बाद बेटे ने आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की वसिय्यतों पर अ़मल किया । फिर उस ने दूसरी रात ख़्वाब में आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ को देखा, तो पूछा : अब्बाजान ! क्या ह़ाल है ? जवाब दिया : मेरे बेटे ! मुआ़मला तो इतना मुश्किल और सख़्त था कि तू तसव्वुर भी नहीं कर सकता । जब मैं अपने रब्बे करीम की बारगाह में ह़िसाब के लिए खड़ा हुवा, तो उस ने फ़रमाया : मेरे बन्दे ! बता मेरे लिए क्या ले कर आया है ? मैं ने अ़र्ज़ की : या अल्लाह ! साठ ह़ज लाया हूं । जवाब मिला : उन में से एक भी क़बूल नहीं । येह सुन कर मुझ पर लरज़ा त़ारी हो गया । अल्लाह पाक ने फिर पूछा : और बता क्या लाया है ? मैं ने अ़र्ज़ की : एक हज़ार दिरहम का सदक़ा व ख़ैरात । इरशाद फ़रमाया : उन में से एक दिरहम भी मुझे क़बूल नहीं । मैं ने कहा : ऐ रब्बे करीम ! फिर तो मैं हलाक हो गया और अब मेरे लिए तबाही व बरबादी है । तो रब्बे करीम ने इरशाद फ़रमाया : क्या तुझे याद है कि एक मरतबा तू अपने घर से बाहर कहीं जा रहा था कि रास्ते में तू ने एक कांटा देखा और लोगों को तक्लीफ़ से मह़फ़ूज़ रखने की निय्यत से वोह कांटा रास्ते से हटा दिया था ? मैं ने तेरा वोही अ़मल क़बूल कर लिया और उसी की वज्ह से तेरी बख़्शिश फ़रमा दी । (ह़िकायातुस्सालिह़ीन, स. 51)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

अच्छे आमाल की बरकतें

          ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इख़्लास से किए जाने वाले नेक आमाल की बरकत से इन्सान बड़ी बड़ी मुसीबतों से बच जाता है । ٭ अच्छे आमाल की बरकत से अल्लाह पाक की रिज़ा ह़ासिल होती है । ٭ अच्छे आमाल की बरकत से जन्नत की नेमतें नसीब होती हैं । ٭ अच्छे आमाल की बरकत से अ़ज़ाबे क़ब्रो ह़श्र से नजात मिलती है । ٭ अच्छे आमाल गुनाहों की मग़फ़िरत का ज़रीआ़ हैं । ٭ अच्छे आमाल रह़मते इलाही उतरने का सबब हैं । ٭ अच्छे आमाल के बदले दुन्या व आख़िरत में अच्छा बदला मिलता है । ٭ अच्छे आमाल क़ब्र में अच्छी और प्यारी शक्ल इख़्तियार कर के आएंगे और आराम व सुकून का बाइ़स बनेंगे । ٭ अच्छे आमाल की वज्ह से इन्सान लोगों में अच्छा पेहचाना जाता है । ٭ अच्छे आमाल की वज्ह से उ़म्र में इज़ाफ़ा होता है । ٭ अच्छे आमाल करने में दुन्या व आख़िरत की सलामती व आ़फ़िय्यत और नजात है । ٭ और अच्छे आमाल मज़ीद अच्छे आमाल की तौफ़ीक़ का सबब भी बनते हैं ।

दुन्या दारुल अ़मल है

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! इस बात में कोई शक नहीं कि येह दुन्या अ़मल करने की जगह है और आख़िरत बदला मिलने का मक़ाम । हम दुन्या में जो अच्छा या बुरा बीज बोएंगी, उस की फ़सल आख़िरत में काटेंगी । अच्छा या बुरा बदला मिलने को उर्दू में "जैसी करनी, वैसी भरनी"  "जैसा करोगी, वैसा भरोगी" "जैसा बोओगी, वैसा काटोगी" और "मुकाफ़ाते अ़मल" जब कि अ़रबी ज़बान में "کَمَا تَدِینُ تُدَان" कहा जाता है ।