Book Name:Moasharay Ki Islah
सादा और समझाने का त़रीक़ा ऐसा दिलकश होता है कि लाखों मुसलमान तौबा कर के अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश के मुक़द्दस जज़्बे से सरशार हो गए हैं ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ का फै़ज़ान
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के दिल में नेकी की दावत आ़म करने और मुआ़शरे की इस्लाह़ के मुक़द्दस जज़्बे के तह़त लोगों को बुराई से रोकने की कुढ़न कूट कूट कर भरी हुई है, आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ उम्मते मुस्लिमा को नमाज़, रोज़े का पाबन्द बनाने, सुन्नतें सीखने, सिखाने, नेकियों का जज़्बा दिलाने, गुनाहों से बचने का ज़ेहन बनाने के लिए इनफ़िरादी व इजतिमाई़ कोशिशें जारी रखे हुवे हैं, आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ न सिर्फ़ ख़ुद इस्तिक़ामत के साथ नेकी की दावत आ़म करने में मसरूफ़ हैं बल्कि वक़्तन फ़ वक़्तन आ़शिक़ाने रसूल को भी अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश करने का ज़ेहन देते हैं । इस मक़्सद को दुन्या के कोने कोने में आ़म करने के लिए आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी की बुन्याद रखी और इस में ज़िन्दगी के तक़रीबन हर शोबे से वाबस्ता लोगों की इस्लाह़ के लिए कई शोबाजात क़ाइम फ़रमाए हैं । आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपनी किताबों और रसाइल के ज़रीए़ भी नेकी की दावत की ख़ूब ख़ूब धूमें मचा रहे हैं, आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की तह़रीरों की बरकत से लाखों मुसलमान बिल ख़ुसूस नौजवान इस्लामी बहनों की ज़िन्दगियों में मदनी इन्क़िलाब आ गया और वोह जुर्म व गुनाह की दुन्या को छोड़ कर सीधी राह पर आ गए । अगर हम भी नेकी की दावत देने और दूसरों को बुराई से रोकने का ज़ेहन रखती हैं, अपने मुआ़शरे को अमनो सुकून का गेहवारा बनाना चाहती हैं, तो आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाएं, दूसरों को भी इस से वाबस्ता करें, ख़ुद भी मदनी इनआ़मात पर अ़मल करें, दूसरों को भी अ़मल की तरग़ीब दिलाएं ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
﴾3﴿...मुआ़शरे के मुख़्तलिफ़ गुनाह
ग़ीबत
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! मुआ़शरे में पाए जाने वाले गुनाहों में से एक ग़ीबत भी है, जो मुआ़शरे की तबाही का सबब बन रही है । इन्सान के किसी ऐसे ऐ़ब