Book Name:Moasharay Ki Islah

समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा' में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दावत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! मुआ़शरे की इस्लाह़ आज हमारा मौज़ूअ़ है इस में कुछ शक नहीं कि मुआ़शरा फ़र्द से बनता है, जब हर फ़र्द अपने आप को ठीक करने की सच्चे दिल से कोशिश करेगा, तो मुआ़शरे की बिगड़ती हुई तस्वीर ख़ुद बख़ुद ठीक होती चली जाएगी अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने हमें एक मक़्सद अ़त़ा फ़रमाया है कि "मुझे अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश करनी है, اِنْ شَآءَ اللّٰہ" इस मक़्सद का पेहला और ज़रूरी ह़िस्सा भी येही है कि पेहले मुझे अपनी इस्लाह़ की कोशिश करनी है, इस की बुन्यादी वज्ह येह है कि जब हर मुसलमान अपना येह ज़ेहन बना लेगा कि मुझे अपनी इस्लाह़ की कोशिश करनी है, तो मुआ़शरे की डूबती हुई किश्ती को ख़ुद बख़ुद सहारा मिलना शुरूअ़ हो जाएगा अपनी इस्लाह़ करने से मुआ़शरा कैसे सह़ीह़ हो सकता है, आइए ! इसे एक ह़िकायत से समझती हैं चुनान्चे,

अपनी तस्वीर ठीक कीजिए !

          एक शख़्स मुत़ालआ़ करने में मसरूफ़ था, पास ही उस का बच्चा खेल रहा था जो बार बार उसे तंग करता था और यूं उस के मुत़ालए़ में ख़लल पैदा होता । बाप ने बेटे को कई बार समझाया मगर बच्चा थोड़ी देर तो सुकून में रेहता मगर जैसे ही थोड़ा वक़्त गुज़रता वोह फिर से किसी शरारत में मश्ग़ूल हो जाता । बाप बच्चे की शरारतों से बहुत परेशान हुवा, यहां तक कि उस के सर में दर्द होना शुरूअ़ हो गया । आख़िर उस के दिमाग़ में एक तरकीब आई और उस ने क़रीब ही मौजूद किसी मुल्क के नक़्शे (Map) को फाड़ कर टुक्ड़े टुक्ड़े कर दिया और अपने बेटे को देते हुवे कहा : बेटा ! दूसरे कमरे में जा कर येह नक़्शा दुरुस्त कर के लाओ । बच्चा चला गया, तो उस ने इत़मीनान का सांस लिया और दिल ही दिल में येह ख़याल किया कि बच्चा जितनी देर तक नक़्शा बनाता रहेगा, मैं मुत़ालआ़ कर लूंगा क्यूंकि नक़्शे के टुक्ड़ों को तरतीब देना काफ़ी मुश्किल काम था और इस में बच्चे को काफ़ी वक़्त लग सकता था । बच्चा चला गया और बाप ने इत़मीनान से मुत़ालआ़ करना शुरूअ़ कर दिया, अभी थोड़ा ही वक़्त गुज़रा था कि बच्चे ने आ कर कहा : अब्बू ! नक़्शा दुरुस्त कर लिया है । बाप को ह़ैरत हुई कि इतने घन्टों का काम मिनटों में कैसे हो गया ? उस ने देखा, तो वाके़ई़ नक़्शा ठीक तरतीब दिया गया था । बाप ने पूछा : बेटा ! येह नक़्शा इतनी जल्दी कैसे