Book Name:Moasharay Ki Islah

किस की ना फ़रमानी करते हो ?

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि बयान कर्दा गुनाह मुआ़शरे में कैसी कैसी बुराइयों को जन्म देते हैं, लिहाज़ा गुनाह ख़्वाह छोटा हो या बड़ा, उस से बचने ही में आ़फ़िय्यत है जैसा कि ह़ज़रते बिलाल बिन साद رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : गुनाह के छोटा होने को देखो बल्कि येह देखो कि तुम किस की ना फ़रमानी कर रहे हो (الزواجر،مقدمة فی تعریف الکبیرة،خاتمة فی التحذیر… الخ، ۱/۲۷)

          हर इस्लामी बहन को इतना इ़ल्म होना तो ज़रूरी है कि वोह ज़ाहिरी बात़िनी गुनाहों को जान सके, ज़ाहिरी बात़िनी गुनाहों की ज़रूरी मालूमात होना भी फ़राइज़ लाज़िम उ़लूम में से है, दीगर लाज़िम उ़लूम की त़रह़ इन की मालूमात होना भी ज़रूरी है मज़ीद अगर गुनाह का इरादा करते वक़्त इन्सान येह सोच ले कि मैं जिस रब्बे करीम की ना फ़रमानी कर रहा हूं वोह तो मुझे हर वक़्त, हर ह़ाल में देख रहा है, तो اِنْ شَآءَ اللّٰہ इस त़रह़ काफ़ी ह़द तक  गुनाहों से छुटकारा नसीब हो जाएगा गुनाहों से नफ़रत करने और छुटकारा पाने का एक बेहतरीन ज़रीआ़ किसी अच्छे माह़ोल से वाबस्ता हो जाना भी है اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आज के इस नाज़ुक दौर में आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी का मदनी माह़ोल अल्लाह पाक की अ़ज़ीम नेमत है, आप भी इस मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रहिए, اِنْ شَآءَ اللّٰہ दुन्या आख़िरत की भलाइयां ह़ासिल होंगी

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

पानी में इसराफ़ से बचने के मदनी फूल

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइए ! पानी में इसराफ़ से बचने के बारे में चन्द मदनी फूल सुनने की सआ़दत ह़ासिल करती हैं पेहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم सुनिए :

1.      फ़रमाया : वुज़ू में बहुत सा पानी बहाने में कुछ भलाई नहीं और वोह काम शैत़ान की त़रफ़ से है (کَنْزُ الْعُمّال،۹/۱۴۴،حدیث:۲۶۲۵۵)

2.      फ़रमाया : मदनी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने एक शख़्स को वुज़ू करते देखा, तो फ़रमाया : इसराफ़ कर ! इसराफ़ कर ! ( اِبن ماجہ ،کتاب اطہارۃ و سننہا،باب ما جاء فی القصد فی الوضوء۔ ۔ الخ ،۱/ ۲۵۴، حدیث:۴۲۴)

٭ अगर वक़्फ़ के पानी से वुज़ू किया, तो ज़ियादा ख़र्च करना बिल इत्तिफ़ाक़ ह़राम है । (वुज़ू का त़रीक़ा, स. 42) ٭ बाज़ लोग चुल्लू लेने में पानी ऐसा डालते हैं कि उबल जाता है, ह़ालांकि जो गिरा बेकार गया, इस से एह़तियात़ चाहिए । (वुज़ू का त़रीक़ा, स. 42) ٭ आज