Book Name:Moasharay Ki Islah

करतीं यूं समझिए कि जिस त़रह़ आग (Fire) घरों, फे़क्ट्रियों, कम्पनियों, गोदामों, जंगलात, गांव, देहात और मुख़्तलिफ़ चीज़ों को घन्टों बल्कि मिनटों में जला कर तबाहो बरबाद कर डालती है, इसी त़रह़ हंसते बस्ते मुल्कों, शहरों, नस्लों, क़ौमों, घरों, ख़ानदानों, इदारों और तन्ज़ीमों का अमन तहस नहस करने और दिलों में नफ़रतों का बीज बोने में अक्सर लड़ाई, झगड़ों की तबाहकारियां ही कारफ़रमा होती हैं यक़ीनन अगर हम ने क़ुरआनी अह़काम को भुलाया होता, अगर हम रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के फ़रामीन पर अ़मल करतीं, अगर हम ने अपने बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के इरशादात से नसीह़त ह़ासिल की होती, अगर हम उ़लमाए ह़क़ के फ़रामीन पर अ़मल करतीं, अगर हम ने लड़ाई, झगड़ों की तबाहकारियों को पेशे नज़र रखा होता, तो आज हमारा मुआ़शरा भी "अमनो सुकून का गेहवारा" बना होता आइए ! लड़ाई, झगड़ों की तबाहकारियों पर मुश्तमिल दो फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनिए चुनान्चे,

लड़ाई, झगड़ों की मज़म्मत पर 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

1.      इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक के हां सब से ना पसन्दीदा शख़्स वोह है जो बहुत ज़ियादा झगड़ालू हो (بخاری، کتاب المظالم،باب قول ﷲ تعالی:وہو الد الخصامِ،۲/ ۱۳۰،حدیث:۲۴۵۷)

2.      इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स नाह़क़ त़ौर पर झगड़ता है, वोह हमेशा अल्लाह पाक की नाराज़ी में होता है, यहां तक कि उसे छोड़ दे (موسوعۃ لابن ابی الدنیا، کتاب الصَّمْت وآداب اللِّسان، باب ذم الخصومات،۷/۱۱۱، حدیث: ۱۵۳)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

बुज़ुर्गाने दीन और इस्लाह़े मुआ़शरा

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ह़क़ पर होने के बा वुजूद झगड़ा छोड़ दीजिए, इसी में भलाई है यक़ीनन ह़क़ पर होने के बा वुजूद झगड़ा छोड़ देना

हुत अच्छा और हिम्मत का काम है, येही वोह त़रीक़ा है जो मुआ़शरे में लड़ाई, झगड़े के बढ़ते हुवे रुजह़ान को ख़त्म कर सकता है । हमारे बुज़ुर्गों का येह मामूल रहा है कि उन के साथ कैसा भी बुरा सुलूक किया जाए, वोह मुआ़फ़ कर दिया करते और कोई बदला नहीं लेते, लोग उन के ह़ुक़ूक़ दबा लेते हैं लेकिन येह ह़ज़रात लोगों के ह़ुक़ूक़ (Rights) की अदाएगी से कभी ग़ाफ़िल नहीं होते, नादान लोग इन्हें त़रह़ त़रह़ की तक्लीफे़ं देते हैं लेकिन येह ह़ज़रात उन्हें इंर्ट का जवाब पथ्थर से देने और नफ़्स की ख़ात़िर ग़ुस्सा करने के बजाए दुआ़ओं से नवाज़ते और मुआ़फ़ी अ़त़ा कर के सवाब का