Book Name:Shetan Ki Insan Se Dushmani
में झोंक दिया गया, तो दोज़ख़ का होलनाक अ़ज़ाब कैसे बरदाश्त कर पाऊंगी ? इस त़रह़ अपना मुह़ासबा करने से اِنْ شَآءَ اللہ तकब्बुर से बचने में काफ़ी मदद मिलेगी ।
इसी त़रह़ तकब्बुर और दीगर बुराइयों से नजात के लिए यूं दुआ़ कीजिए : या अल्लाह ! मैं नेक बनना चाहती हूं, तकब्बुर और दूसरी तमाम बुराइयों से जान छुड़ाना चाहती हूं मगर नफ़्सो शैत़ान आड़े आ जाते हैं, तू इन के मुक़ाबले में मुझे काम्याबी अ़त़ा फ़रमा, मुझे नेक बना दे, आ़जिज़ी की नेमत अ़त़ा फ़रमा दे ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइए ! अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "ज़िन्दा बेटी कुंवें में फेंक दी" के सफ़ह़ा नम्बर 20 से तावीज़ात के चन्द आदाब व मसाइल सुनती हैं : ٭ क़ुरआनी आयत पढ़ने के लिए ह़ैज़ व निफ़ास व जनाबत से पाक होना ज़रूरी है और आयत का तावीज़ लिखने में भी पाकी की ह़ालत का लाज़िमी त़ौर पर ख़याल रखे । जिन पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ नहीं, वोह बे वुज़ू बिग़ैर छूए देख कर या ज़बानी आयत पढ़ सकती हैं मगर बे वुज़ू आयत का तावीज़ लिखना इन के लिए भी जाइज़ नहीं । इसी त़रह़ इन सब को ऐसा तावीज़ छूना या पेहनना ह़राम है । ٭ अगर आयत का तावीज़ कपड़े, रेगज़ीन या चमड़े वग़ैरा में सिला हुवा हो, तो बे ग़ुस्लों और बे वुज़ू सब के लिए इस का छूना, पेहनना जाइज़ है । ٭ तावीज़ हमेशा इस त़रह़ लिखिए कि हर दाइरे वाले ह़र्फ़ की गोलाई खुली रहे, यानी इस त़रह़ : ط، ظ، ہ، ھ، ص، ض، و، م، ف، ق वग़ैरा । ٭ आयात वग़ैरा में एराब (यानी ज़ेर, ज़बर, पेश वग़ैरा) लगाना ज़रूरी नहीं । ٭ पेहनने का तावीज़ हमेशा वॉटर प्रूफ़ इंक मसलन बॉल प्वॉइंट से लिखिए । ٭ तावीज़ लपेटने से पेहले पढ़िए : بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ وَ صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد نُوۡرٌ مِّنۡ نُوْرِ اللّٰہ ٭ आला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ तावीज़ लपेटने में सीधी त़रफ़ से पहल फ़रमाते थे । ٭ पेहनने वालियों को चाहिए कि पसीने और पानी वग़ैरा के असर से बचाने के लिए तावीज़ को मोमजामा कर लें (यानी मोम में तर किए हुवे कपड़े का टुक्ड़ा लपेट लें) या पिलास्टिक कोटिंग कर लें फिर कपड़े, रेगज़ीन या चमड़े वग़ैरा में सी लें । ٭ औ़रत सोने, चांदी की डिब्या में तावीज़ पेहन सकती है । ٭ जिस बरतन, पियाले या प्लेट वग़ैरा पर क़ुरआनी आयत लिखी हो उस का इस्तिमाल मक्रूह है, अलबत्ता ब निय्यते शिफ़ा उस में पानी वग़ैरा पी सकते हैं लेकिन बे वुज़ू या ह़ैज़ व निफ़ास वाली औ़रत को आयत वाला बरतन छूना ह़राम है । (बहारे शरीअ़त, 1 / 327, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد