Book Name:Shetan Ki Insan Se Dushmani

खाना कि वोह उसे सुन्नत की पैरवी करने वाली और कम खाने वाली तसव्वुर करें । अल्लाह पाक रियाकारी से हमारी ह़िफ़ाज़त फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! रियाकारी से बचने के लिए इ़बादत के दौरान भी शैत़ानी वस्वसों से बचने की कोशिश करें क्यूंकि शैत़ान मुसल्सल हमारे दिल में वस्वसे डालने की कोशिश में लगा रेहता है, लिहाज़ा जिस त़रह़ नेक अ़मल से पेहले दिल में इख़्लास होना ज़रूरी है, इसी त़रह़ हर नेकी व इ़बादत के दौरान इसे क़ाइम रखना भी ज़रूरी है । अगर्चे इस त़रह़ सोचना और ग़ौरो फ़िक्र करना बहुत मुश्किल काम है मगर ना मुमकिन नहीं, आग़ाज़ में येह काम बेह़द मुश्किल मह़सूस होता है लेकिन जब कोशिश कर के एक अ़र्से तक इस पर सब्र किया जाए, तो अल्लाह पाक के फ़ज़्लो करम और उस की तौफ़ीक़ से येह काम आसान हो जाता है, हमारा काम कोशिश करना है, काम्याबी देने वाली ज़ात रब्बे करीम की है । (नेकी की दावत, स. 94, बित्तग़य्युर)

पूरा शहर उजड़ गया

          एक शख़्स ने शैत़ान को इस ह़ाल में देखा कि वोह अपनी उंगली उठाए हुवे जा रहा था । उस ने शैत़ान से पूछा : येह तुम अपनी उंगली उठाए हुवे क्यूं जा रहे हो ? शैत़ान ने कहा : मैं अपनी उंगली से बड़े बड़े काम निकाल लेता हूं, लोग जो आपस में लड़ते, झगड़ते और ख़राबियां पैदा करते हैं, वोह इसी उंगली का खेल होता है । उस शख़्स ने ह़ैरत से कहा : येह कैसे हो सकता है ? शैत़ान ने कहा : येह सामने जो शहर है, इसे मेरी येह उंगली थोड़ी देर में तबाहो बरबाद कर देगी और लोग लड़ना, झगड़ना ख़ुद ही शुरूअ़ कर देंगे । शैत़ान उस शख़्स के साथ शहर में दाख़िल हुवा । एक बाज़ार में ह़ल्वाई चीनी घोल कर उस का शीरा बनाने के लिए उसे एक बड़े बरतन में गर्म कर रहा था । शैत़ान ने शीरे में उंगली डाल कर थोड़ा सा शीरा निकाला और उसे दीवार पर लगाते हुवे बोला : अब देखना येह शहर कैसे तबाह होता है ! चुनान्चे, दीवार पर लगे हुवे शीरे पर मक्खियां आ कर बैठीं, मक्खियों का हुजूम देख कर एक छिपकली उन पर झपटने के लिए दीवार पर चढ़ी, ह़ल्वाई की एक बिल्ली थी, उस बिल्ली ने छिपकली को देखा, तो वोह उस पर झपटने के लिए तय्यार हो गई, दो सिपाही बाज़ार से गुज़र रहे थे जिन के साथ उन का कुत्ता भी था, कुत्ते ने बिल्ली को देखा, तो एकदम उस पर ह़म्ला कर दिया, बिल्ली ने भागने के लिए छलांग लगाई, तो सीधी शीरे के बरतन में जा गिरी और मर गई, ह़ल्वाई ने अपनी बिल्ली को मरते देखा, तो कुत्ते को मार डाला, येह मन्ज़र देख कर सिपाहियों ने ह़ल्वाई को हलाक कर दिया, ह़ल्वाई के अ़ज़ीज़ों को पता चला, तो उन्हों ने सिपाहियों को मार डाला, जब लश्कर को अपने दो सिपाहियों की मौत का इ़ल्म हुवा, तो लश्कर ने (ग़ुस्से में) आ कर पूरे शहर को तबाहो बरबाद कर दिया । (शैत़ान की ह़िकायात, स. 150, मुलख़्ख़सन)