Book Name:Shetan Ki Insan Se Dushmani
मैं ने तुम्हारे लिए ह़राम चीज़ों को ह़लाल कर दिया, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने उस के इस वार को नाकाम बना दिया ।
ज़रा सोचिए ! मख़्लूक़ात में सब से बड़ा मक़ाम किस का है ? यक़ीनन प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ऐसे नमाज़ी थे कि उन की मिस्ल कोई नमाज़ी हो ही नहीं सकता, उन की मिस्ल कोई इ़बादत करने का गुमान भी नहीं कर सकता, उन पर तो तहज्जुद भी फ़र्ज़ थी, अगर्चे वोह मालिके शरीअ़त हैं मगर रब्बे करीम के अह़काम पूरे फ़रमाए ।
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! याद रखिए ! शैत़ान इन्सानों का खुला दुश्मन है, इस बात का ज़िक्र अल्लाह पाक ने पारह 15, सूरए बनी इसराईल की आयत नम्बर 53 में फ़रमाया है :
اِنَّ الشَّیْطٰنَ كَانَ لِلْاِنْسَانِ عَدُوًّا مُّبِیْنًا(۵۳) (پ ۱۵، سورء بنی اسرائیل : ۵۳)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : बेशक शैत़ान इन्सान का खुला दुश्मन है ।
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! मालूम हुवा ! शैत़ान इन्सान का खुला दुश्मन है, शैत़ान इस दुश्मनी के इज़्हार के लिए कई हथयार इस्तिमाल करता है : ٭ शैत़ान कभी रियाकारी करवा कर नेकियां बरबाद करवा देता है । ٭ कभी वस्वसे डाल कर नेकियां करने में रुकावट बनता है । ٭ कभी मुसलमानों में दुश्मनी और फूट डलवा कर ग़ीबतों और तोहमतों के दरवाज़े खोल देता है । ٭ कभी झूट बुलवा कर आख़िरत को तबाह करवाने की कोशिश करता है । ٭ कभी ह़सद के कांटे दिल में चुभो कर दोज़ख़ की आग में पहुंचाने की कोशिश करता है । ٭ कभी तकब्बुर में मुब्तला कर के अपनी दुश्मनी का निशाना (Target) बनाता है । ٭ कभी वाह वाह ! की ख़्वाहिश में गिरिफ़्तार करवा कर नेकियों को ज़ाएअ़ करवाता है । ٭ कभी मुसलमानों के दिलों में छुपी दुश्मनियां पैदा कर के अपना काम निकालता है । ٭ कभी मां-बाप की ना फ़रमानी पर उभार कर दुन्या व आख़िरत में ज़लील करवाता है । ٭ कभी बीमारियों पर बे सब्री और चीख़ो पुकार करवा कर सब्र के बे ह़िसाब सवाब से मह़रूम करा देता है । ٭ कभी नमाज़ों से ٭ कभी फ़राइज़ से ٭ कभी फ़र्ज़ व लाज़िम इ़ल्मे दीन से दूर करता है । ٭ कभी तिलावते क़ुरआन से रोकता है । ٭ कभी नेक आमाल करने में सुस्ती डालता है । अल ग़रज़ ! शैत़ान अपनी दुश्मनी निकालने के लिए त़रह़ त़रह़ से इन्सान को घेरने की कोशिश करता है, हमें उस के हर वार से होश्यार रेहना चाहिए ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! इस में कोई शक नहीं कि शैत़ान हमें नेकियां करने नहीं देता, अगर हम ख़ूब कोशिश कर के नेक अ़मल करने में कामयाब हो भी जाएं, तो