Book Name:Siddique e Akbar Ki Sakhawat

क्या ख़ूब जवाब दिया कि या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! उन के लिए अल्लाह पाक और उस के रसूल صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ काफ़ी हैं । येही नहीं इस्लाम और मुसलमानों को जब भी माली इमदाद की ज़रूरत पड़ी, तो अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ सब से आगे नज़र आए । अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की सख़ावत के मज़ीद वाक़िआ़त सुनने से पेहले आइए ! एक नज़र आप की मुबारक ज़िन्दगी के चन्द ह़िस्सों पर डालती हैं । चुनान्चे,

ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का मुख़्तसर तआ़रुफ़

          आ़शिके़ अक्बर, अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की सारी ज़िन्दगी शानदार है, आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ बचपन से ही बुरे कामों से बचने वाले थे, इब्तिदा ही से झूट से नफ़रत करने वाले थे । आप का नाम "अ़ब्दुल्लाह", कुन्यत "अबू बक्र" और अल्क़ाबात "सिद्दीक़" व "अ़तीक़" हैं । आप ज़मानए जाहिलिय्यत ही में सिद्दीक़ के लक़ब से मश्हूर हो गए थे क्यूंकि आप हमेशा सच बोलते थे । रह़मते आ़लम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ को ख़ुश ख़बरी देते हुवे फ़रमाया : اَنْتَ عَتِیْقٌ مِّنَ النَّارِ तू दोज़ख़ की आग से आज़ाद है । इस लिए आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ को अ़तीक़ का लक़ब अ़त़ा हुवा । (تارِیخُ الْخُلَفاء،ص۲۶تا۲۹) अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ आ़मुल फ़ील (यानी वोह साल जिस में अबरहा बादशाह ने हाथियों का लश्कर ले कर काबे शरीफ़ पर चढ़ाई की थी) के तक़रीबन अढ़ाई बरस बाद मक्कए मुकर्रमा में पैदा हुवे । अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ वोह सह़ाबी हैं जिन्हों ने आज़ाद मर्दों में सब से पेहले रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की रिसालत की तस्दीक़ की और ईमान लाए । अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के फ़ज़ाइलो कमालात इस क़दर ज़ियादा हैं कि रसूलों और नबियों عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام के बाद तमाम इन्सानों में सब से अफ़्ज़लो आला हैं । अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़