Book Name:Siddique e Akbar Ki Sakhawat

जन्नत का मह़ल उस को मिलेगा जो...

          बिलफ़र्ज़ कोई रिश्तेदार सुस्ती के सबब या किसी भी वज्ह से जानबूझ कर हमारे यहां नहीं आई या हमें अपने यहां दावत में नहीं बुलाया बल्कि उस ने खुल्लम खुल्ला हमारे साथ बुरा सुलूक किया, तब भी हमें बड़ा ह़ौसला रखते हुवे तअ़ल्लुक़ात बर क़रार रखने चाहिएं । ह़ज़रते उबय्य बिन काब رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है, नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमान है : जिसे येह पसन्द हो कि उस के लिए (जन्नत में) मह़ल बनाया जाए और उस के दरजात बुलन्द किए जाएं, उसे चाहिए कि जो इस पर ज़ुल्म करे, येह उसे मुआ़फ़ करे, जो इसे मह़रूम करे, येह उसे अ़त़ा करे और जो इस से तअ़ल्लुक़ तोड़े, येह उस से तअ़ल्लुक़ जोड़े । (مُستَدرَک للحاکم،کتاب التفسیر،۳۲،حدیث: ۳۲۱۵)

किस रिश्तेदार को सदक़ा देना, अफ़्ज़ल सदक़ा है ?

          बहर ह़ाल कोई मह़रम रिश्तेदार हमारे साथ अच्छा सुलूक करे या न करे, हमें उस के साथ अच्छा सुलूक जारी रखना चाहिए । ह़दीसे पाक में है : सब से अफ़्ज़ल सदक़ा वोह है जो दिल में दुश्मनी रखने वाले रिश्तेदार को दिया जाए, इस की वज्ह येह है कि दिल में दुश्मनी रखने वाले रिश्तेदार को सदक़ा देने में सदक़ा भी है और रिश्ता तोड़ने वाले से अच्छा सुलूक करना भी । (مستدرک،کتاب الزکاۃ،باب افضل الصدقۃ..الخ،۲/ ۲۷،حدیث:۱۵۱۵)

          अल्लाह पाक हम सभी को अपने मह़ारिम रिश्तेदारों से हमेशा अच्छा सुलूक करते रेहने की तौफ़ीक़ नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

सलाम करने की सुन्नतें और आदाब

आइए ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से सलाम करने की सुन्नतें और आदाब सुनिए । ٭ मुसलमान (मह़ारिम) से मुलाक़ात करते वक़्त उसे सलाम करना सुन्नत है । ٭ मक्तबतुल