Book Name:Siddique e Akbar Ki Sakhawat
आ़क़िबत अल्लाह पाक के ज़िम्मए करम पर
एक बार आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ, सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह में सदक़ा ले कर ह़ाज़िर हुवे और छुपा कर उसे पेश किया और अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! अल्लाह पाक के ज़िम्मए करम पर ही मेरी आ़क़िबत (मेरा अन्जाम) मौक़ूफ़ है । (حلیۃ الاولیاء، ابوبکر الصدیق،۱/۶۶، رقم: ۶۹)
रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की माली ख़िदमत
अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ इस्लाम क़बूल करने के बाद से हिजरते मदीना तक इस्लाम की माली ख़िदमत करते रहे । हिजरत के वक़्त आप के पास कुल माल पांच या छे हज़ार दिरहम था जो आप ने अपने साथ ले लिया (और रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर ख़र्च कर दिया) । (الریاض النضرۃ،۱/ ۱۳۲)
रसूले ख़ुदा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की गवाही
अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की इतनी माली ख़िदमत की, कि आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने ख़ुद इरशाद फ़रमाया : मुझे किसी के माल ने इतना फ़ाएदा न दिया जितना अबू बक्र सिद्दीक़ رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के माल ने दिया । येह सुन कर अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! मैं और मेरा माल सब आप ही का है । (ابن ماجۃ،کتاب السنۃ، باب فی فضائل اصحاب رسول اللہ،۱/۷۲، حدیث:۹۴)
प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ, अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के माल को अपने माल जैसा समझ कर ही इस्तिमाल फ़रमाते थे । (مصنف عبدالرزاق، کتاب الجامع، باب اصحاب النبی، ۱۰/۲۲۲، حدیث: ۴۸۴۸)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد