Book Name:Tahammul Mizaji ki Fazilat
बिन ह़ुज्र رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ को अपने साथ तख़्त पर बिठाया और फ़रमाया : मेरा तख़्त बेहतर है या आप की ऊंटनी की कोहान ? ह़ज़रते वाइल बिन ह़ुज्र رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने कहा : ऐ अमीरल मोमिनीन ! मैं उस वक़्त नया नया मुसलमान हुवा था और जाहिलिय्यत का रवाज वोही था जो मैं ने किया, अब अल्लाह पाक ने हमें इस्लाम से सरफ़राज़ फ़रमाया है और आप ने जो कुछ किया वोही इस्लाम का त़रीक़ा है । ह़ज़रते वाइल बिन ह़ुज्र رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ, ह़ज़रते अमीरे मुआ़विया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के इस नर्म रवय्ये से इस क़दर मुतास्सिर हुवे कि आप ने फ़रमाया : काश ! मैं ने इन्हें अपने आगे सुवार किया होता । (फ़ैज़ाने अमीरे मुआ़विया, स. 13)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! इस ह़िकायत से मालूम हुवा ! * हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के सह़ाबा तह़म्मुल मिज़ाज (यानी क़ुव्वते बरदाश्त और नर्म मिज़ाज वाले) होते थे । * मह़ब्बत भरा सुलूक फ़रमाने वाले थे । * आ़जिज़ी व इन्केसारी से भरपूर थे । * सब्रो तह़म्मुल के आ़दी होते थे । * नर्म दिल और मेहरबान होते थे । * दूसरों के बुग़्ज़ो कीने से पाक होते थे । * बुरे सुलूक पर भी अच्छा सुलूक किया करते थे । * बुराई का बदला भी अच्छाई से देते थे । * बुर्दबार होते थे । * बदला लेने के बजाए मुआ़फ़ करने वाले होते थे । ऐ काश ! हम भी उन के त़रीके़ पर चलने लग जाएं और तह़म्मुल मिज़ाजी को अपनी आ़दत बना लें । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! इस ह़िकायत में सह़ाबिए रसूल, कातिबे वह़ी, ह़ज़रते अमीरे मुआ़विया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का भी ज़िक्र है, इसी माह यानी रजबुल मुरज्जब में ह़ज़रते अमीरे मुआ़विया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का उ़र्स मुबारक भी है । आइए ! इसी मुनासबत से आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की सीरत व किरदार से मुतअ़ल्लिक़ मुख़्तसरन सुनती हैं ।
ह़ज़रते अमीरे मुआ़विया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का ज़िक्रे ख़ैर
ह़ज़रते अमीरे मुआ़विया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का नाम "मुआ़विया" है, आप की कुन्यत "अबू अ़ब्दुर्रह़मान" है । (سیر اعلام النبلا ، معاویۃ بن ابی سفیان ، ۴ / ۲۸۵) ह़ज़रते अमीरे मुआ़विया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की विलादत (Birth) एलाने नुबुव्वत से पांच साल पेहले (तक़रीबन 604 ई़सवी) में हुई । (الاصابة ، ذكرمن اسمه معاوية ، ۶ / ۱۲۰) आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ लम्बे क़द वाले थे, आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का रंग सफे़द व ख़ूबसूरत और शख़्सिय्यत रोब वाली थी, आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ सर मुबारक में मेहंदी लगाया करते थे । (الاصابة ، معاوية بن ابي سفيان ، ۶ / ۱۲۰ ، البدایۃ والنھایۃ ، سنۃ ستین من الھجرۃ النبویۃ ، و ھذہ ترجمۃ معاویۃ۔ ۔ الخ ، ۵ / ۶۱۹) आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने ख़ास सुल्ह़े ह़ुदैबिया के दिन, 7 हिजरी को इस्लाम क़बूल किया फिर फ़त्ह़े मक्का के दिन इस का एलान फ़रमाया । (البدایۃ والنہایۃ ، ۵ / ۶۱۹ ملخصاً)
ह़ज़रते अमीरे मुआ़विया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ क़ुव्वते बरदाश्त में अपनी मिसाल आप थे । चुनान्चे, एक शख़्स ने ह़ज़रते अमीरे मुआ़विया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से सख़्त कलामी की, तो किसी ने कहा : अगर आप चाहें, तो इसे सज़ा दे सकते हैं । फ़रमाया : मुझे इस बात से ह़या आती है कि मेरी रिआ़या की किसी ग़लत़ी की वज्ह से मेरी क़ुव्वते बरदाश्त कम हो जाए । (حلم معاویہ ، ص۲۲ ، رقم : ۱۴)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد