Book Name:Tahammul Mizaji ki Fazilat

आपस में ख़ूब लड़ाई, झगड़े करें । * एक दूसरे की इ़ज़्ज़तों पर कीचड़ उछालें । * बद अख़्लाक़ी और गन्दी बातें करें । * एक दूसरे को ख़ूब गालियां दें । * अगर कोई किसी को एक थप्पड़ मारे, तो बदले में दूसरा दो थप्पड़ रसीद करे । * बड़े मर्तबे और ऊंचे ओ़ह्दे वाले मुसलमान दूसरों को ह़क़ीर जान कर अपने से छोटों को च्यूंटी बराबर समझें । अल ग़रज़ ! मुसलमान आपस में लड़ते रहें । अब हमें सोचना चाहिए कि हम अपने मुआ़मलात में शैत़ान की पैरवी करती हैं या रब्बे करीम की पैरवी करती हैं । शैत़ान येह चाहता है कि मुसलमान छोटी छोटी बातों पर लड़ने, मरने लगें जब कि रब्बे करीम ने येही ह़ुक्म फ़रमाया है कि मुसलमान एक दूसरे को मुआ़फ़ करें, एक दूसरे को मुआ़फ़ करें ताकि अल्लाह पाक उन की मग़फ़िरत फ़रमाए ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

        प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! इस में शक नहीं कि किसी मुसलमान से ग़लत़ी (Mistake) हो जाने पर तह़म्मुल मिज़ाजी से काम लेते हुवे उसे मुआ़फ़ करना नफ़्स पर बहुत मुश्किल हो जाता है लेकिन अगर हम तह़म्मुल मिज़ाजी और अ़फ़्वो दरगुज़र की फ़ज़ीलतों को पेशे नज़र रखेंगी, तो तह़म्मुल मिज़ाज बनना आसान हो जाएगा । आइए ! तह़म्मुल मिज़ाजी और लोगों को मुआ़फ़ करने का जज़्बा पैदा करने के लिए इस की फ़ज़ीलत पर 4 अह़ादीसे मुबारका सुनती हैं :

तह़म्मुल मिज़ाजी और दरगुज़र करने की फ़ज़ीलत

  1. प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : तीन बातें जिस शख़्स में होंगी, अल्लाह करीम (क़ियामत के दिन) उस का ह़िसाब बहुत आसान त़रीके़ से लेगा और उस को अपनी रह़मत से जन्नत में दाख़िल फ़रमाएगा । सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ! वोह कौन सी बातें हैं ? फ़रमाया : (1) जो तुम्हें मह़रूम करे, तुम उसे अ़त़ा करो । (2) जो तुम से तअ़ल्लुक़ तोड़े, तुम उस से तअ़ल्लुक़ जोड़ो और (3) जो तुम पर ज़ुल्म करे, तुम उस को मुआ़फ़ कर दो ।  (معجم اوسط ، ۴ / ۱۸ ، حدیث  : ۵۰۶۴)

2.      इरशाद फ़रमाया : इ़ल्म सीखने से आता है, तह़म्मुल मिज़ाजी तक्लीफ़ बरदाश्त करने से पैदा होती है और जो भलाई ह़ासिल करने की कोशिश करे, उसे भलाई दी जाती है और जो शर से बचना चाहता है, उसे बचाया जाता है ।  (تاریخِ مدینةدمشق ، الرقم : ۲۱۶۲ ، رجاء بن حیویہ ، ۱۸ /  ۹۸)

3.      इरशाद फ़रमाया : पांच काम अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام की सुन्नत हैं, उन में से एक तह़म्मुल मिज़ाजी भी है । (موسوعة الامام ابن ابی الدنیا ،  کتاب الحلم  ، ۲ /  ۲۴ ، حدیث  :  ۶)

4.      इरशाद फ़रमाया : बेशक इन्सान बुर्दबारी की वज्ह से रोज़ादार और शब बेदार का दरजा पा लेता है । (موسوعة الامام ابن ابی الدنیا ، کتاب الحلم ، ۲ /  ۲۷ ،  حدیث  :  ۸ ملتقطاً)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

शैत़ान के वस्वसे !

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! सत्तर बार मुआ़फ़ करने का ज़िक्र करने में इस बात की त़रफ़ इशारा है कि हम ख़ुद को तह़म्मुल मिज़ाज बनाएं, कितनी ही बड़ी ग़लत़ियां वाके़अ़ हो जाएं, हमें