Book Name:Hajj Kay Mahine Kay Ibtidai 10 Din

क़ुरबानी के फ़ज़ाइल, गोश्त (Meat) के त़िब्बी फ़वाइद और ज़ियादा खाने के नुक़्सानात भी बयान किए जाएंगे । माहे ज़ुल ह़िज्जा के इब्तिदाई 10 दिनों में इ़बादत के ह़वाले से भी सुनेंगी । ज़िक्रुल्लाह के फ़ज़ाइल और नफ़्ल रोज़ों के फ़ज़ाइल भी सुनेंगी । ऐ काश ! हमें सारा बयान अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ सुनने की सआ़दत नसीब हो जाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْکَرِیْم صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم

किस चीज़ ने रोज़ा रखने पर आमादा किया ?

          ह़ज़रते आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا बयान फ़रमाती हैं : एक जवान अह़ादीसे रसूल सुना करता था, ज़ुल ह़िज्जा का चांद नज़र आया, तो उस ने रोज़ा रख लिया । जब प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को येह ख़बर मिली, तो रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने उसे बुलाया और पूछा : तुझे किस चीज़ ने रोज़ा रखने पर आमादा किया ? उस ने अ़र्ज़ की ? या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ! मेरे मां-बाप आप पर क़ुरबान हों ! येह ह़ज व क़ुरबानी के दिन हैं, शायद अल्लाह पाक मुझे भी उन की दुआ़ओं में शामिल फ़रमा ले । ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : तेरे हर दिन के रोज़े का अज्र (सवाब) सौ ग़ुलाम आज़ाद करने के बराबर, सौ ऊंटों की क़ुरबानियों और राहे ख़ुदा में दिए गए सौ घोड़ों के अज्र के बराबर है । जब आठवीं ज़ुल ह़िज्जा का दिन होगा, तो तुझे उस दिन के रोज़े का सवाब दो हज़ार ग़ुलाम आज़ाद करने, दो हज़ार ऊंट की क़ुरबानी करने और राहे ख़ुदा में सुवारी के लिए दो हज़ार घोड़े देने के बराबर ह़ासिल होगा । जब नवीं का दिन होगा, तो तुझे उस दिन के रोज़े का सवाब हज़ार ग़ुलाम आज़ाद करने, हज़ार ऊंटों की क़ुरबानी और राहे ख़ुदा में सुवारी के लिए दिए गए हज़ार घोड़ों के अज्र के बराबर होगा । (اللآلیء المصنوعۃ للسیوطی،کتاب الصیام،۲/۹۱ملتقطاً) (अलबत्ता ह़ज करने वाले पर जो अ़रफ़ात में है, उसे अ़रफ़ा (यानी 9 ज़ुल ह़िज्जतिल ह़राम) के दिन रोज़ा रखना मक्रूह है) । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा : पन्जुम, 1 / 1010)

ज़ुल ह़िज्जा शरीफ़ के इब्तिदाई 10 दिन में क्या करें ?

          سُبْحٰنَ اللّٰہ ! आप ने सुना कि माहे ज़ुल ह़िज्जा शरीफ़ के इब्तिदाई 10 दिन भी किस क़दर बरकतों और रह़मतों वाले होते हैं, जिन में रब्बे करीम की रह़मत बन्दों पर झूम झूम कर बरस रही होती है । जो कोई ख़ुश नसीब मुसलमान इन दिनों में रिज़ाए इलाही के लिए पेहली ज़ुल ह़िज्जा से नवीं ज़ुल ह़िज्जा तक रोज़े रखने में काम्याब हो जाता है, तो अल्लाह करीम उस को हज़ारों ग़ुलाम आज़ाद करने, हज़ारों ऊंटों की क़ुरबानी करने और राहे ख़ुदा में दिए गए हज़ारों घोड़ों के बराबर अज्रो सवाब अ़त़ा फ़रमाता है ।

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ग़ौर कीजिए ! इन मुबारक दिनों में एक, एक रोज़ा रखने पर इस क़दर सवाब अ़त़ा किया जाता है, तो जो ख़ुश नसीब इस्लामी बहनें इन दिनों में मुख़्तलिफ़ इ़बादात, मसलन दिन के रोज़ों और रातों को जाग कर इ़बादात करने में गुज़ारती होंगी, तो उन के सवाब का अन्दाज़ा कौन लगा सकता है ! और अल्लाह करीम उन की इ़बादात पर उन्हें कैसे कैसे इनआ़मो इकराम से नवाज़ेगा । लिहाज़ा इन 10 दिनों को हरगिज़ हरगिज़ ग़फ़्लत में नहीं गुज़ारना