Book Name:Faizan-e-Ghous-ul-Azam
تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ، वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वालों की दिलजूई के लिये बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा ।٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ माहे रबीउ़ल आख़िर जारी है और आज इस की ग्यारहवीं रात भी है जिस को आ़शिक़ाने ग़ौसे आज़म "बड़ी ग्यारहवीं शरीफ़" भी केहते हैं । इस तारीख़ को दुन्या भर में आ़शिक़ाने ग़ौसो रज़ा, ह़ज़रते शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का उ़र्से मुबारक निहायत ही अ़क़ीदतो एह़तिराम के साथ मनाते हैं । दुन्या भर में आ़शिक़ाने रसूल मुख़्तलिफ़ अन्दाज़ से ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की रूह़े मुबारका को सवाब पहुंचाने का एहतिमाम करते हैं । कहीं इजतिमाआ़त का इनए़क़ाद किया जाता है, तो कहीं क़ुरआन ख़्वानी का सिलसिला होता है, कहीं मदनी मुज़ाकरों के ज़रीए़ आ़शिक़ाने ग़ौसे आज़म जम्अ़ होते हैं, तो कहीं नफ़्ल रोज़े रख कर सवाब पहुंचाने का एहतिमाम होता है, कहीं ग़ौसे पाक की पाकीज़ा रूह़ को सवाब पहुंचाने के लिए तक़्सीमे रसाइल की बहारें होती हैं, तो कहीं इजतिमाआ़त में लंगरे ग़ौसिय्या का एहतिमाम होता है ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल में दुन्या भर में इस बड़ी रात को "इजतिमाए़ ग़ौसिय्या" का एहतिमाम किया जाता है, इसी मुनासबत से आज हम भी सर ज़मीने बग़दाद पर अपने मज़ारे मुबारक में आराम फ़रमा उस मुक़द्दस हस्ती का ज़िक्रे ख़ैर सुनने की सआ़दत ह़ासिल करेंगे । आज के बयान में ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के पाकीज़ा बचपन के कुछ वाक़िआ़त के साथ साथ आप की विलादते बा सआ़दत से मुतअ़ल्लिक़ पेहले से दी जाने वाली ख़ुश ख़बरियों का बयान भी होगा । इस में कोई शक नहीं कि ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ पैदाइशी वली थे लेकिन आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ को ख़ुद अपनी विलायत का इ़ल्म कब हुवा ? येह भी सुनेंगे, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की सीरत के मुख़्तलिफ़ वाक़िआ़त सुनने के साथ आप के इ़ल्मी मक़ाम से मुतअ़ल्लिक़ मिलने वाले निकात भी ह़ासिल करेंगे । इसी त़रह़ दीनी त़ालिबे इ़ल्मों (Students) से आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की मह़ब्बतो उल्फ़त और ख़ैर ख़्वाही व शफ़्क़त के कुछ वाक़िआ़त भी बयान किए जाएंगे । यक़ीनन एक सच्चा पीर, इन्सान का ह़क़ीक़ी रेहनुमा होता है और जो फै़ज़ इन्सान अपने पीर से पा सकता है, वोह शायद कहीं और से मिलना मुमकिन नहीं होता, इसी लिए ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के कुछ अक़्वाले