Book Name:Faizan-e-Ghous-ul-Azam
सुनाने के बजाए हम येह सच्ची इस्लामी कहानियां बच्चों को पढ़ाएं या सुनाएं, اِنْ شَآءَ اللّٰہ हम देखेंगे कि हमारे बच्चे मदनी माह़ोल में ढलते चले जाएंगे ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने ग़ौसुल आज़म ! हम सरकारे ग़ौसे आज़म رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के बारे में सुन रहे थे । आइए ! आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के पाकीज़ा बचपन से मुतअ़ल्लिक़ मज़ीद वाक़िआ़त सुनते हैं । चुनान्चे,
अपनी विलायत का इ़ल्म होना
ह़ुज़ूरे ग़ौसे आज़म رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : जब मैं बचपन में मद्रसे जाता था, तो रोज़ाना एक फ़िरिश्ता इन्सानी शक्ल में मेरे पास आता और मुझे मद्रसे ले जाता, ख़ुद भी मेरे पास बैठा रेहता था, मैं उस को बिल्कुल भी नहीं पेहचानता था कि येह फ़िरिश्ता है । एक दिन मैं ने उस से पूछा : आप कौन हैं ? तो उस ने जवाब दिया : मैं फ़िरिश्तों में से एक फ़िरिश्ता हूं, अल्लाह पाक ने मुझे इस लिए भेजा है कि मैं मद्रसे में आप के साथ रहा करूं ।
बड़ी शान वाले
ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ मज़ीद फ़रमाते हैं : एक रोज़ मेरे क़रीब से एक शख़्स गुज़रा जिस को मैं बिल्कुल न जानता था, उस ने जब फ़िरिश्तों को येह केहते सुना कि कुशादा हो जाओ ताकि अल्लाह पाक का वली बैठ जाए । तो उस ने एक फ़िरिश्ते से पूछा : येह लड़का किस का है ? तो फ़िरिश्ते ने जवाब दिया : येह सादात के घराने का लड़का है । तो उस ने कहा : येह अ़न क़रीब बहुत बड़ी शान वाला होगा । (بہجۃ الاسرار،ص۴۸)
अल्लाह पाक के वली को बैठने की जगह दो
सरकारे ग़ौसुल आज़म رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के साह़िबज़ादे, शैख़ अ़ब्दुर्रज़्ज़ाक़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का बयान है : एक दफ़्आ़ ह़ुज़ूरे ग़ौसे आज़म رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ से पूछा गया : आप को अपने वली होने का इ़ल्म कब हुवा ? तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने फ़रमाया : जब मैं दस बरस (10 Years) का था और अपने शहर के मद्रसे में जाया करता था और फ़िरिश्तों को अपने पीछे और आस पास चलते देखता । जब मद्रसे में पहुंच जाता, तो वोह बार बार येह केहते : अल्लाह पाक के वली को बैठने के लिए जगह दो । इसी वाक़िए़ को बार बार देख कर मेरे दिल में येह एह़सास पैदा हुवा कि अल्लाह पाक ने मुझे अपना वली बना लिया है । (بہجۃ الاسرار، ص۴۸)
ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ पर अल्लाह पाक का फ़ज़्ल हुवा कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने अपनी विलायत को पेहचान लिया मगर याद रहे ! वली पर