Book Name:Khud Kushi Kay Asbab
अल्लाह पाक मुसलमानों को इम्तिह़ानात में मुब्तला फ़रमा कर उन के गुनाहों को मिटाता और दरजात को बढ़ाता है । जो ख़ुश नसीब इन्सान मुसीबतों और आज़माइशों पर सब्र करने में कामयाब हो जाता है, वोह अल्लाह पाक की रह़मतों के साए में आ जाता है । चुनान्चे, पारह 2, सूरतुल बक़रह की आयत नम्बर 155 ता 157 में इरशादे रब्बानी है :
وَ لَنَبْلُوَنَّكُمْ بِشَیْءٍ مِّنَ الْخَوْفِ وَ الْجُوْ عِ وَ نَقْصٍ مِّنَ الْاَمْوَالِ وَ الْاَنْفُسِ وَ الثَّمَرٰتِؕ- وَ بَشِّرِ الصّٰبِرِیْنَۙ(۱۵۵) الَّذِیْنَ اِذَاۤ اَصَابَتْهُمْ مُّصِیْبَةٌۙ-قَالُوْۤا اِنَّا لِلّٰهِ وَ اِنَّاۤ اِلَیْهِ رٰجِعُوْنَؕ(۱۵۶) اُولٰٓىٕكَ عَلَیْهِمْ صَلَوٰتٌ مِّنْ رَّبِّهِمْ وَ رَحْمَةٌ -وَ اُولٰٓىٕكَ هُمُ الْمُهْتَدُوْنَ(۱۵۷) (پ۲، البقرۃ :۱۵۵،۱۵۶،۱۵۷)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और हम ज़रूर तुम्हें कुछ डर और भूक से और कुछ मालों और जानों और फलों की कमी से आज़माएंगे और सब्र करने वालों को ख़ुश ख़बरी सुना दो । वोह लोग कि जब उन पर कोई मुसीबत आती है, तो केहते हैं : हम अल्लाह ही के हैं और हम उसी की त़रफ़ लौटने वाले हैं । येह वोह लोग हैं जिन पर उन के रब की त़रफ़ से दुरूद हैं और रह़मत और येही लोग हिदायत याफ़्ता हैं ।
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ग़ौर कीजिए ! क़ुरआने पाक येह फ़रमा रहा है कि अल्लाह पाक मुसीबतें दे कर आज़माता है । अब जिस बद नसीब ने उन में बे सब्री का मुज़ाहरा किया, शोर शराबा किया, ना शुक्री के कलिमात ज़बान से अदा किए या बेज़ार हो कर مَعَاذَ اللّٰہ ख़ुदकुशी की राह ली, वोह इस इम्तिह़ान में बुरी त़रह़ नाकाम हो कर पेहले से करोड़हा करोड़ गुना ज़ाइद मुसीबतों का ह़क़दार हो गया । बे सब्री करने से मुसीबत तो जाने से रही, उल्टा सब्र के ज़रीए़ हाथ आने वाला अ़ज़ीमुश्शान सवाब भी ज़ाएअ़ हो जाता है जो कि ब ज़ाते ख़ुद एक बहुत बड़ी मुसीबत है, इस लिए सब्र से काम लेना चाहिए । ह़दीसे पाक में मोमिन की ख़ूबी येह बयान हुई है कि उसे ख़ुशी पहुंचती है, तो अल्लाह करीम का शुक्र अदा करता है और तक्लीफ़ पहुंचती है, तो सब्र करता है । (مسلم،کتاب الزہدوالرقائق،باب المؤمن امرہ کلہ خیر،ص ۱۲۲۲، حدیث:۷۵۰۰)
सब्र का मफ़्हूम और इस की बरकतें
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ٭ यक़ीनन सब्र में ख़ैर ही ख़ैर है । ٭ सब्र दुन्या के ग़मों से पनाह देने वाली ख़ूबी है । ٭ सब्र अल्लाह पाक की रिज़ा पर राज़ी रेहने का नाम है । ٭ सब्र गुनाहों से ख़ुद को बचाने का नाम है । ٭ सब्र क़ुर्बे इलाही का ज़रीआ़ है । ٭ सब्र अल्लाह पाक की त़रफ़ से बेहतरीन और बे ह़िसाब अज्र पाने का ज़रीआ़ है । ٭ सब्र करने से मददे इलाही शामिले ह़ाल होती है । ٭ सब्र करने पर अल्लाह पाक की रह़मतें नसीब होती हैं । ٭ सब्र से दुन्या भी बेहतर होती है और आख़िरत भी संवर जाती है । ٭ रब्बे करीम ने क़ुरआने करीम में 90 से ज़ियादा मक़ामात पर सब्र का