Book Name:Khud Kushi Kay Asbab

ज़िक्र फ़रमाया है और अक्सर दरजात और भलाइयों को सब्र से मन्सूब किया है, उन्हें सब्र का फल क़रार दिया है और सब्र करने वालों के लिए ऐसे इनआ़मात तय्यार रखे हैं जो किसी और के लिए नहीं रखे (मुकाशफ़तुल क़ुलूब, . 499)

          इ़बादात में से सब्र ही है जिस की निस्बत अल्लाह पाक ने सिर्फ़ अपनी त़रफ़ फ़रमाई है बल्कि सब्र करने वालों के साथ होने की ख़ुश ख़बरी भी इरशाद फ़रमाई है चुनान्चे, पारह 10, सूरतुल अन्फ़ाल की आयत नम्बर 46 में इरशादे बारी है :

وَ اصْبِرُوْاؕ-اِنَّ اللّٰهَ مَعَ الصّٰبِرِیْنَۚ(۴۶) (پ۱۰،الانفال:۴۶)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और सब्र करो, बेशक अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

सब्र और हमारा मुआ़शरा

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आज हम सब्र से बहुत दूर होती जा रही हैं, शायद येही वज्ह है कि एक तादाद ज़ेहनी दबाव का शिकार है सब्र का दामन छोड़ बैठने का ही नतीजा है कि हमारे मुआ़शरे में ब्लड प्रेशर जैसा ख़त़रनाक मरज़ भी तेज़ी से बढ़ रहा है सब्र से दूरी की वज्ह से बाज़ इन्तिहाई ग़ुसीले और जज़्बाती लोग घरेलू झगड़ों, तंगदस्तियों, क़र्ज़दारियों, बीमारियों, मुसीबतों और शादी में रुकावटों या इम्तिह़ान में नाकामियों वग़ैरा के सबब पैदा होने वाले ज़ेहनी दबाव (Depression) के बाइ़स ख़ुदकुशी कर डालते हैं ख़ुदकुशी और दीगर कई गुनाहों से बचने का एक बेहतरीन ज़रीआ़ सब्र की आ़दत अपनाना है आइए ! सब्र का जज़्बा बढ़ाने और गुनाहों से ख़ुद को बचाने के लिए सब्र की फ़ज़ीलत पर 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनती हैं चुनान्चे,

1.      इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक फ़रमाता है : जब मैं बन्दए मोमिन की दुन्या की प्यारी चीज़ ले लूं फिर वोह सब्र करे, तो इस की जज़ा जन्नत के सिवा कुछ नहीं (بخاری،کتاب الرقاق،باب العمل الذی یبتغی بہ وجہ اللہ،۴/۲۲۵،حدیث: ۶۴۲۴)

2.      फ़रमाया : जिस ने मुसीबत पर सब्र किया, यहां तक कि उस (मुसीबत) को अच्छे सब्र के साथ लौटा दिया, अल्लाह पाक उस के लिए तीन सौ दरजात लिखेगा, हर एक दरजे के दरमियान ज़मीनो आसमान का फ़ासिला होगा (جَامِع صغِیر لِلسُّیُوْطِیّ،ص۳۱۷ حدیث: ۵۱۳۷)

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! सब्र की आ़दत बनाने के लिए ज़रूरी है कि ग़ुस्से की आ़दत को ख़त्म किया जाए । ग़ुस्सा ही वोह मरज़ है जो सब्र और उस के अज्र से मह़रूम कर देता है, इस लिए अगर कोई बात हमें बुरी लगे या हमारी त़बीअ़त के ख़िलाफ़ कोई काम हो जाए, तो ग़ुस्से में आने या इन्तिक़ामी कारवाई का सोचने के