Book Name:Khud Kushi Kay Asbab

बजाए मदनी इनआ़म नम्बर 23 पर अ़मल करते हुवे शैत़ान के वार को नाकाम बनाने का ज़ेहन बनाना चाहिए मदनी इनआ़म नम्बर 23 है : क्या आज आप ने (घर में या बाहर) किसी पर ग़ुस्सा जाने की सूरत में चुप साध कर ग़ुस्से का इ़लाज फ़रमाया या बोल पड़ीं ? नीज़ दरगुज़र से काम लिया या इन्तिक़ाम (यानी बदला लेने) का मौक़अ़ ढूंडती रहीं ?

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ख़ुदकुशी की दूसरी वज्ह "मुआ़शी परेशानियां"

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ख़ुदकुशी की त़रफ़ ले जाने वाले कई अस्बाब में से दूसरा बुन्यादी सबब "मुआ़शी परेशानियां" भी हैं आसाइशों, उ़म्दा ग़िज़ाओं, शादियों वग़ैरा के मौक़ओ़ं पर फ़ुज़ूल ख़र्चियों, घर की सजावटों, मेहंगे मेहंगे कपड़ों, बेहतरीन मुस्तक़्बिल की ख़ात़िर ज़ियादा से ज़ियादा रक़म की त़लब और अमीर बन जाने के सुनेहरे ख़्वाब भी ख़ुदकुशी के अस्बाब हैं

          इस में कोई शक नहीं कि "माल" इन्सान की बुन्यादी ज़रूरिय्यात में शामिल है, जब तक ज़रूरत के मुत़ाबिक़ माल मौजूद रहे, ज़िन्दगी मुस्कुराती हुई गुज़रती है लेकिन जब जेब ख़ाली होने लगे और त़ुलूअ़ होने वाला सूरज एक नया ख़र्चा लिए ज़ाहिर हो, तो ज़िन्दगी की गाड़ी का पहिय्या रुकने लगता है ऐसे में कभी ज़रूरिय्यात को पूरा करने के लिए क़र्ज़ जैसे कांटेदार दरख़्त तले भी पनाह लेनी पड़ती है, यानी ज़रूरिय्यात पूरी करने के लिए क़र्ज़ का बोझ उठाना पड़ता है फिर येह दरख़्त अपनी जड़ें फैला कर इस त़रह़ से मज़बूत़ करता है कि बाज़ कमज़ोर ज़ेहन के लोग ख़ुदकुशी की त़रफ़ माइल हो जाते हैं बच्चों के स्कूल और टियूशन्ज़ की भारी फ़ीसें, घर के बढ़ते हुवे अख़राजात, बिजली और गेस के बिल्ज़, मालिके मकान और क़र्ज़ ख़्वाहों के तक़ाज़े कभी इन्सान को ऐसे बन्द कमरे में धकेल देते हैं कि जहां नजात सिर्फ़ ख़ुदकुशी की सूरत में दिखाई दे रही होती है

फ़िक्रे मुआ़श का इ़लाज क़नाअ़त है

          अगर रेहने सेहने, खाने पीने वग़ैरा में ह़क़ीक़ी सादगी अपनाने का ज़ेहन बन जाए, तो थोड़ी आमदनी पर गुज़ारा करना मुमकिन है और इस सबब से शायद कोई भी मुसलमान ख़ुदकुशी जैसा ह़राम और दोज़ख़ में ले जाने वाला काम न करे । याद रखिए ! इन्सानी ख़्वाहिशात समुन्दर से ज़ियादा गेहरी और ज़मीनो आसमान से ज़ियादा कुशादा हैं । ख़ुश नसीब हैं वोह इस्लामी बहनें जो इस्लामी तालीमात पर