Book Name:Apni Islah Ka Nuskha
फिर उस ने ज़ोर ज़ोर से रोना शुरूअ़ कर दिया और ज़मीन पर गिर गया, देखते ही देखते उस का इन्तिक़ाल हो गया । (ह़िकायतें और नसीह़तें, स. 363, मुलख़्ख़सन)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! देखा आप ने ! दिन रात गुनाहों में मश्ग़ूल रेहने वाला नौजवान एक इजतिमाअ़ में ह़ाज़िर हुवा और उस में होने वाले रिक़्क़त अंगेज़ बयान को सुना, तो उस के दिल में ऐसा मदनी इन्क़िलाब और अपनी इस्लाह़ का जज़्बा पैदा हुवा कि सारी सारी रात अल्लाह पाक की इ़बादत करता, दिन में रोज़ा रखता और ख़ौफे़ ख़ुदा के बाइ़स हर वक़्त अपने पिछले गुनाहों पर शर्मिन्दा रेहता, इसी कैफ़िय्यत में वोह इस दुन्या से रुख़्सत हुवा । इस ह़िकायत से हमें येह दर्स मिला कि नेक इजतिमाआ़त में शिर्कत करना बड़ी सआ़दत की बात, अपना मुह़ासबा और अपनी इस्लाह़ करने का ज़बरदस्त नुस्ख़ा है कि इस की बरकत से जहां अज्रो सवाब का ढेरों ख़ज़ाना हाथ आता है, वहीं बहुत से लोगों को तौबा की भी तौफ़ीक़, अपना मुह़ासबा करने और अपनी इस्लाह़ करने का ज़ेहन बनता है । लिहाज़ा हमें भी दावते इस्लामी के इस्लामी बहनों के होने वाले हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त में इजतिमाई़ त़ौर पर ज़रूर शिर्कत करनी चाहिए । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ येह मुबारक इजतिमाआ़त तिलावते क़ुरआन, नाते रसूल, सुन्नतों भरे बयान, रिक़्क़त अंगेज़ दुआ़ और सलातो सलाम और अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की त़रफ़ से दिए जाने वाले इ़ल्मो ह़िक्मत के इरशादात से मालामाल होते हैं । इन इजतिमाआ़त में शिर्कत की बरकत से न सिर्फ़ इ़ल्मे दीन सीखने का मौक़अ़ हाथ आता है बल्कि ह़ुक़ूक़ुल्लाह की पासदारी के साथ साथ अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश का जज़्बा मिलता है ।
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आज हम देखती हैं कि एक तादाद है जो त़रह़ त़रह़ की परेशानियों में मुब्तला नज़र आती है, किसी के घर के अख़राजात पूरे नहीं होते, कोई क़र्ज़ों की शिकार है, कोई कोरोना वाइरस की वबा की वज्ह से मुतास्सिर है, अल ग़रज़ ! हमारे मुआ़शरे में तंगदस्ती और बे बरकती का रोना रोने वाले लोग बहुत हैं । ग़ौर कीजिए ! कहीं इस की वज्ह येह तो नहीं कि हम गुनाह करती नहीं डरतीं ? मुसीबतों का सबब कहीं हमारी अपनी ही बद आमालियां ही तो नहीं हैं ? क्यूंकि आज कल हमारे मुआ़शरे में गुनाहों का बाज़ार इस क़दर गर्म है कि اَلْاَمَان وَالْحَفِیْظ ।
बद क़िस्मती से लोगों की भारी अक्सरिय्यत बे अ़मली का शिकार है, न तो बन्दों के ह़ुक़ूक़ की अदाएगी का पास है और न ही अल्लाह पाक के ह़ुक़ूक़ ज़ाएअ़ करने का कोई एह़सास, नेकियां करना नफ़्स के लिए बेह़द दुशवार और गुनाह करना बहुत आसान हो चुका है, ज़रूरिय्यात व सहूलिय्यात ह़ासिल करने की ह़द से ज़ियादा कोशिश ने मुसलमानों की भारी तादाद को फ़िक्रे आख़िरत से मुकम्मल ग़ाफ़िल कर दिया है । गाली देना, तोहमत लगाना, बद गुमानी करना, ग़ीबत करना, चुग़ली खाना, लोगों के ऐ़ब जानने की कोशिश में लगी रेहना, लोगों के ऐ़ब उछालना, झूट बोलना, झूटे वादे करना, किसी का माल नाह़क़ खाना, किसी को बिला इजाज़ते शरई़ तक्लीफ़ देना, क़र्ज़ दबा लेना, किसी की चीज़ वक़्ती त़ौर पर ले कर वापस न करना, इस्लामी बहनों को बुरे अल्क़ाब से पुकारना, किसी की चीज़ उसे ना गवार गुज़रने के बा वुजूद बिला इजाज़त इस्तिमाल