Book Name:Apni Islah Ka Nuskha

मुतअ़ल्लिक़ केहते हुवे सुना : ऐ शख़्स ! फ़िरदौसे आला की त़रफ़ जाओ । (احیاء العلوم،کتاب المراقبۃ والمحاسبۃ، بیان حقیقۃ المحاسبۃ بعد العمل، ۵/۱۳۹)

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! यक़ीनन येह तो सोचा भी नहीं जा सकता कि ह़ज़रते तौबा बिन सिम्मह رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ गुनाहों में मुब्तला होंगे, यक़ीनन उन की पाकीज़ा ज़िन्दगी गुनाहों से बहुत दूर होगी लेकिन इस ह़िकायत से हम अपनी ह़ालत पर ग़ौर करें क्यूंकि हमारी ह़ालत येह है कि हम दिन में एक नहीं दरजनों बल्कि सैंक्ड़ों गुनाह करती होंगी क्यूंकि बद क़िस्मती से अब तो क़दम क़दम पर गुनाहों के मवाके़अ़ नज़र आते हैं । पेहले इन्सान तन्हाई इख़्तियार कर के गुनाहों से बचने में काम्याब हो सकता था मगर अब मोबाइल की सूरत में गुनाहों से बचने वाली तन्हाई भी किसी किसी को नसीब होती होगी, दिन भर में किए जाने वाले इन गुनाहों को अपनी ज़िन्दगी के दिनों से ज़र्ब देंगी, तो नतीजा शायद लाखों में आएगा । ग़ौर कीजिए ! इतने सारे गुनाहों के साथ हम अल्लाह पाक की बारगाह में कैसे पेश होंगी ? इस लिए अभी भी वक़्त है, अभी हम पक्की सच्ची तौबा कर लें और आइन्दा गुनाहों से बचने का पक्का इरादा कर लें और ऐ काश ! हर रोज़ सोने से पेहले दिन भर के आमाल पर ग़ौरो फ़िक्र करने की तौफ़ीक़ भी नसीब हो जाए । इस ह़िकायत से एक बात येह भी मालूम हुई ! जो कोई मुसलमान अपने आमाल पर ग़ौरो फ़िक्र करते हुवे इस दुन्या से जाता है, अल्लाह पाक बन्दों में येह एलान (Announcement) करवाता है कि वोह जन्नत में चला गया । लिहाज़ा हमें भी मुह़ासबए नफ़्स यानी ग़ौरो फ़िक्र करने को अपना मामूल बनाना चाहिए ।

मुह़ासबए नफ़्स की अहम्मिय्यत

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! जो मुसलमान आख़िरत में फ़ाएदा कमाने का इरादा रखता हो, उसे भी चाहिए कि अपने किए गए आमाल पर ग़ौर करे, जो आमाल उस को फ़ाएदा दिलवाने में मुआ़विन (Contributor) साबित हों, उन को मज़ीद बेहतर करे और जो काम इस फ़ाएदे के ह़ुसूल में रुकावट बन रहे हों, उन्हें छोड़ दे । अगर वोह मुसलमान इस त़रह़ अपना एह़तिसाब जारी रखेगा, वोह अल्लाह पाक की तौफ़ीक़ से काम्याबी ह़ासिल करेगा और फ़ाएदे के त़ौर पर اِنْ شَآءَ اللہ उसे जन्नत में दाख़िला नसीब होगा । अगर ऐसा करने की बजाए ख़्वाबे ग़फ़्लत का शिकार हो जाए, तो वोह ख़सारे में रहेगा, जिस का नतीजा दोज़ख़ में दाख़िले की सूरत में सामने आ सकता है । (وَالْعِیَاذُ بِاللہ)

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने आसान और बेहतरीन अन्दाज़ में ग़ौरो फ़िक्र करने के बारे में जो रेहनुमाई फ़रमाई है, वोह अपनी मिसाल आप है । आप ने आसानी से नेकियां करने और गुनाहों से बचने के त़रीक़ों पर मुश्तमिल शरीअ़तो त़रीक़त का बेहतरीन मजमूआ़ बनाम "मदनी इनआ़मात" सुवालात की सूरत में अ़त़ा फ़रमाया है, इस्लामी भाइयों के लिए 72, इस्लामी बहनों के लिए 63, त़लबए इ़ल्मे दीन के लिए 92, दीनी त़ालिबात के लिए 83, बच्चों और बच्चियों के लिए 40, स्पेशल (यानी गूंगे, बेहरे) इस्लामी भाइयों के लिए 27 मदनी इनआ़मात अ़त़ा फ़रमाए हैं ।

मदनी इनआ़मात की अहम्मिय्यत

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! मदनी इनआ़मात का अ़ज़ीम तोह़फ़ा न सिर्फ़ बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की याद दिलाता है बल्कि उन के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे ग़ौरो फ़िक्र करने का