Book Name:Apni Islah Ka Nuskha
बेहतरीन ज़रीआ़ भी है, इन मदनी इनआ़मात पर अ़मल कर के हम अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश का अ़ज़ीम जज़्बा पा सकती हैं । मदनी इनआ़मात के रिसाले को खोल कर इस में दिए गए सुवालात के जवाबात में ख़ुद ही "हां" या "ना" के ज़रीए़ अपने आमाल के अच्छे, बुरे होने का जाइज़ा लेती हुई अपनी ग़लत़ियों को सुधार सकती हैं ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ बे शुमार इस्लामी भाई, इस्लामी बहनें और त़लबा व त़ालिबात रोज़ाना "ग़ौरो फ़िक्र" करते हुवे मदनी इनआ़मात के रिसाले में दिए गए ख़ाने भरते हैं, जिस की बरकत से नेक बनने और गुनाहों से बचने की राह में आने वाली रुकावटें अल्लाह पाक के फ़ज़्लो करम से दूर होती चली जाती हैं, पाबन्दे सुन्नत बनने, गुनाहों से नफ़रत करने और ईमान की ह़िफ़ाज़त के लिए कोशिश करने का ज़ेहन भी बनता है । अगर आप येह रिसाला अपने पास रखेंगी, बार बार देखती रहेंगी, ग़ौरो फ़िक्र करती रहेंगी, तो न सिर्फ़ आख़िरत की याद पैदा होगी बल्कि नेक आमाल करने और गुनाहों से बचने का भी ज़ेहन बनेगा । मदनी इनआ़मात का येह रिसाला ख़ुद को नसीह़त करने का बेहतरीन ज़रीआ़ (Source) है । हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن भी ख़ुद को नसीह़त करने के लिए मुख़्तलिफ़ अन्दाज़ इख़्तियार करते थे । चुनान्चे,
अपना एह़तिसाब करने वाले बुज़ुर्ग
ह़ज़रते अबू मुस्लिम ख़ौलानी رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ के बारे में मन्क़ूल है : उन्हों ने एक चाबुक (कोड़ा) लटका रखा था और फ़रमाते : चार पाउं वाले जानवरों से ज़ियादा मैं इस का ह़क़दार हूं । जब कुछ सुस्ती मह़सूस करते, तो अपनी पिन्डली पर चाबुक (कोड़े) से एक या दो चोटें लगाते । (अल्लाह वालों की बातें, 2 / 203)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान को इख़्तिताम की जानिब लाते हुवे अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की मश्हूरे ज़माना किताब "फै़ज़ाने सुन्नत" पेहली जिल्द के सफ़ह़ा नम्बर 302 से खाने की सुन्नतें और आदाब सुनती हैं : ٭ सरकारे नामदार صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم तक्या (यानी टेक) लगा कर नहीं खाते थे । (ابو داود،۳/۴۸۸،حدیث:۳۷۶۹مُلَخَّصاً) ٭ मेज़ पर रख कर खाना नहीं खाते थे । (بخاری،۳ / ۲۴ ،حدیث : ۵۳۸۶ ۵،ملخصاً) ٭ जो कुछ मिल जाता, खा लेते । (مسلم، ص۱۱۳۴،حدیث:۲۰۵۲ملخصاً) ٭ न तो घरवालों से खाना मांगते और न उन के सामने ख़्वाहिश (यानी फ़रमाइश) ज़ाहिर करते, अगर वोह पेश करते, खा लेते, वोह जो कुछ सामने रखते, क़बूल फ़रमा लेते और जो कुछ पिलाते, वोह पी लेते । (اتحاف السادۃ،۸/۲۴۸ملخصاً) ٭ बाज़ अवक़ात ख़ुद उठ कर खाने, पीने की चीज़ ले लेते । (ابو داود، ۴ /۵،حدیث:۳۸۵۶ملخصاً) ٭ आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم अपने सामने से । (شعب الایمان،۵/۷۹ ،حدیث: ۵۸۴۶ ملخصاً) ٭ तीन उंगलियों से खाते थे । (مصنف ابن ابی شیبۃ، ۵ /۵۵۹،حدیث: ۳ملخصاً) ٭ और बाज़ अवक़ात चार उंगलियों से भी खा लेते । (جامع صغیر،ص۲۵۰،حدیث: ۶۹۴۲ ملخصاً) मगर दो उंगलियों से न खाते थे । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : येह शैत़ान के खाने का त़रीक़ा है । (فیض القدیر،۵/۲۴۹،حدیث: ۶۹۴۰ملخصاً) ٭ जव के बिग़ैर छने आटे की रोटी खा लिया करते