Book Name:Ghos e Pak Ki Shan o Azmat 10th Rabi ul Akhir 1442
तक इ़शा के वुज़ू से फ़ज्र की नमाज़ अदा फ़रमाई । आप का मामूल था कि जब बे वुज़ू होते, तो उसी वक़्त वुज़ू फ़रमा कर 2 रक्अ़त नमाज़ नफ़्ल पढ़ लिया करते थे । (بہجة الاسرار،ذکرطریقه ، ص ۱۶۴) बहुत ज़ियादा इ़बादतो रियाज़त और क़ुरआने करीम की तिलावत करने वाले थे, पन्द्रह साल तक रात भर में एक क़ुरआने पाक ख़त्म (بہجة الاسرار،ذکرفصول من کلامه…الخ،ص۱۱۸ملخصاً) और रोज़ाना एक हज़ार रक्अ़त नफ़्ल अदा फ़रमाते थे । (ग़ौसे पाक के ह़ालात, स. 32) आप तेरह उ़लूम में बयान फ़रमाया करते थे, आप के मद्रसए आ़लिया में लोग आप से तफ़्सीर, ह़दीस और फ़िक़्ह वग़ैरा पढ़ते थे, दोपहर से पेहले और बाद दोनों वक़्त लोगों को तफ़्सीर, ह़दीस, फ़िक़्ह, कलाम, उसूल, नह़्व (यानी अ़रबी ग्रामर) और ज़ोहर के बाद तज्वीदो क़िराअत के साथ क़ुरआने करीम पढ़ाया करते थे । (بہجة الاسرار ، ص۲۲۵ ملخصاً) आप के दस्ते करामत पर पांच सौ से ज़ाइद ग़ैर मुस्लिमों ने इस्लाम क़बूल किया और एक लाख से ज़ियादा डाकू, चोर, फ़ासिक़, फ़सादी और बड़े बड़े गुनाह करने वालों ने तौबा की । (بہجة الاسرار ، ذکر وعظہ،ص۱۸۴)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! सरकारे ग़ौसे आज़म رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ, अल्लाह पाक के बहुत बड़े वली होने के साथ साथ अपने वक़्त के बहुत बड़े इमाम, मुफ़्तिए इस्लाम और इ़ल्मे दीन को ख़ूब जानने वाले थे । शुरूअ़ में ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ बयान नहीं फ़रमाते थे लेकिन फिर जब ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ बयान और वाज़ो नसीह़त में मश्ग़ूल हुवे, तो हर त़रफ़ आप के बयान के डंके बजने लगे, लोग दूर दूर से आप के बयान को सुनने के लिए आते, ह़त्ता कि आप का इ़ल्मी मक़ाम इस क़दर बुलन्द था कि बड़े बड़े उ़लमाए किराम आप के समुन्दरे इ़ल्म से अपनी प्यास बुझाते नज़र आते थे । चुनान्चे,
ह़ज़रते बज़्ज़ाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ह़ज़रते शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ कुर्सी पर बैठे फ़रमा रहे थे : मैं ने ह़ुज़ूर सय्यिदे आ़लम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की ज़ियारत की, तो आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने मुझे फ़रमाया : बेटा ! तुम बयान क्यूं नहीं करते ? मैं ने अ़र्ज़ किया : ऐ मेरे नानाजान ! मैं एक अ़जमी हूं, बग़दाद में अ़रबों के सामने बयान कैसे करूं ? आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने मुझे फ़रमाया : बेटा ! अपना मुंह खोलो । मैं ने अपना मुंह खोला, तो आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने मेरे मुंह में 7 बार अपना थूक मुबारक डाला और मुझ से फ़रमाया : लोगों के सामने बयान किया करो और उन्हें रब्बे करीम की त़रफ़ उ़म्दा ह़िक्मत व नसीह़त के साथ बुलाओ । इस वाक़िए़ के बाद मैं ने नमाज़े ज़ोहर अदा की और बैठ गया । मेरे पास बहुत से लोग आए और मुझ पर चिल्लाए (यानी शोर करना शुरूअ़ कर दिया) । इस के बाद मैं ने ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ली बिन अबी त़ालिब رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की इस ह़ाल में ज़ियारत की, वोह मेरे सामने खड़े हैं और मुझ से इरशाद फ़रमा रहे हैं कि ऐ बेटे ! तुम बयान क्यूं नहीं करते ? मैं ने अ़र्ज़ किया : ऐ मेरे वालिद ! लोग मुझ पर चिल्लाते हैं । ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ली رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने फ़रमाया : ऐ मेरे बेटे ! अपना मुंह खोलो । मैं ने अपना मुंह खोला, तो आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने मेरे मुंह में 6 बार थूक मुबारक डाला । मैं ने अ़र्ज़ की : आप ने 7 बार