Book Name:Khof e Khuda Main Rone Ki Ahamiyat
इरशाद फ़रमाएगा : मांग ! क्या मांगता है ? इस पर वोह अपनी ख़्वाहिशात का इज़्हार करेगा, यहां तक कि उस की ख़्वाहिशात (Desires) ख़त्म हो जाएंगी । फिर अल्लाह पाक उस से फ़रमाएगा : जो तू ने मांगा, वोह तुझे दिया जाता है और उस जैसा और दिया जाता है बल्कि उस का दस गुना और भी दिया जाता है । (بخاری ، کتاب الاذان ، باب فضل السجود ، ۱ / ۲۸۳ ، حدیث : ۸۰۶ ملخصاً)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! रब्बे करीम से मांगने वाली मह़रूम नहीं रेहती, रब्बे करीम से दुआ़ करने वाली मह़रूम नहीं रेहती मगर दुआ़ के आदाब को भी पेशे नज़र रखना ज़रूरी है । आइए ! दुआ़ के आदाब में से एक अदब सुनती हैं । चुनान्चे, मक्तबतुल मदीना की किताब "फ़ज़ाइले दुआ़" में लिखा है : आंसू टपकने में कोशिश करे, अगर्चे एक ही क़त़रा हो कि दलीले इजाबत (यानी क़बूलिय्यत की दलील) है । (फ़ज़ाइले दुआ़, स. 81, अदब नम्बर : 33)
इसी त़रह़ ख़ौफे़ ख़ुदा में रोना भी बहुत बड़ी नेमत है जब कि ख़ुद ख़ौफे़ ख़ुदा बहुत बड़ी नेमत है, जब तक येह अ़ज़ीम दौलत ह़ासिल न हो, गुनाहों से नजात और नेकियों से प्यार मुश्किल है लेकिन जब येह अ़ज़ीम दौलत नसीब हो जाए, तो नेकियां करना और गुनाहों से बचना बहुत आसान हो जाता है । येह अ़ज़ीम नेमत होती क्या है ? ख़ौफे़ ख़ुदा केहते किसे हैं ? आइए ! इस बारे में सुनती हैं । चुनान्चे,
अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपनी किताब "कुफ़्रिय्या कलिमात के बारे में सुवाल जवाब" सफ़ह़ा नम्बर 26 पर लिखते हैं : अल्लाह पाक की ख़ुफ़्या तदबीर, उस की बे नियाज़ी, उस की नाराज़ी, उस की पकड़, उस की त़रफ़ से दिए जाने वाले अ़ज़ाबों, उस के ग़ज़ब और इस की नतीजे में ईमान की बरबादी वग़ैरा से ख़ौफ़ज़दा रेहने का नाम "ख़ौफे़ ख़ुदा" है । क़ुरआने करीम में अल्लाह करीम ने मोमिनीन को कई मक़ामात पर इस पाकीज़ा ख़ूबी को इख़्तियार करने का ह़ुक्म इरशाद फ़रमाया । चुनान्चे, पारह 5, सूरतुन्निसा की आयत नम्बर 131 में इरशाद होता है :
وَ لَقَدْ وَصَّیْنَا الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَ اِیَّاكُمْ اَنِ اتَّقُوا اللّٰهَؕ- (پ۵ ، النساء : ۱۳۱)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और बेशक हम ने उन लोगों को जिन्हें तुम से पेहले किताब दी गई और तुम्हें भी ताकीद फ़रमा दी है कि अल्लाह से डरते रहो ।
इसी त़रह़ पारह 22, सूरतुल अह़ज़ाब की आयत नम्बर 70 में इरशादे बारी है :
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَ قُوْلُوْا قَوْلًا سَدِیْدًاۙ(۷۰) ( پ۲۲ ، الا حزاب : ۷۰)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरो और सीधी बात कहा करो ।
पारह 4, सूरए आले इ़मरान की आयत नम्बर 175 में इरशाद होता है :
وَ خَافُوْنِ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ(۱۷۵) (پ۴ ، آلِ عمران : ۱۷۵)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और मुझ से डरो अगर तुम ईमान वाले हो ।