Book Name:Khof e Khuda Main Rone Ki Ahamiyat

1.      के सबब) इस क़दर चीख़ें मारे कि उस की आवाज़ ख़त्म हो जाए और नमाज़ की इतनी कसरत करे कि उस की कमर जवाब दे जाए । (इह़याउल उ़लूम, 4 / 480)

2.      ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह बिन उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا फ़रमाते हैं : अल्लाह करीम के ख़ौफ़ से मेरा एक आंसू बहाना, मेरे नज़दीक पहाड़ बराबर सोना सदक़ा करने से ज़ियादा मह़बूब है । (इह़याउल उ़लूम, 4 / 480)

3.      ह़ज़रते काबुल अह़बार رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : उस ज़ाते पाक की क़सम जिस के क़ब्ज़ए क़ुदरत में मेरी जान है ! मैं अल्लाह करीम के ख़ौफ़ से रोऊं, यहां तक कि मेरे आंसू गालों पर बहें, येह मेरे नज़दीक पहाड़ के बराबर सोना सदक़ा करने से ज़ियादा पसन्दीदा है । (इह़याउल उ़लूम, 4 / 480)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

रोज़े, दिल की सख़्ती दूर करते हैं

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! मालूम हुवा ! जिसे रोना न आए, उसे रोने की कोशिश करनी चाहिए, बसा अवक़ात गुनाहों की कसरत और दिल की सख़्ती की वज्ह से आंसू ख़ुश्क हो जाते हैं । इस सख़्ती को दूर करने का एक त़रीक़ा येह भी है कि भूक और नफ़्ल रोज़ों की कसरत की जाए, इस से दिल नर्म होगा और ख़ौफे़ ख़ुदा में रोने की सआ़दत ह़ासिल हो सकेगी ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ रजबुल मुरज्जब का मुबारक महीना अपनी बरकतें लुटा रहा है । इस महीने के रोज़े रखने की बड़ी बरकतें हैं, लिहाज़ा जिन से हो सके वोह ज़रूर इस महीने के नफ़्ल रोज़े रखने की सआ़दत ह़ासिल करें, इस से न सिर्फ़ दिल की सख़्ती दूर होगी बल्कि माहे रजब की बरकतें भी नसीब होंगी । रजब और शाबान के नफ़्ल रोज़े रखने की बरकत से माहे रमज़ान के फ़र्ज़ रोज़े रखने में आसानी होगी और यूं फ़र्ज़ रोज़ों के लिए पेहले से तय्यारी भी हो जाएगी । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

          मन्क़ूल है : छटे आसमान के दरवाज़े पर रजब के महीने के दिन लिखे हुवे हैं, अगर कोई शख़्स रजब में एक रोज़ा रखे और उसे परहेज़गारी से पूरा करे, तो वोह दरवाज़ा और वोह (रोज़े वाला) दिन उस बन्दे के लिए अल्लाह पाक से मग़फ़िरत त़लब करेंगे और अ़र्ज़ करेंगे : या अल्लाह ! इस बन्दे को बख़्श दे । जब कि प्यारे नबी صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने आ़लीशान है : रजब में एक दिन और रात है, जो उस दिन रोज़ा रखे और रात को इ़बादत करे, तो गोया उस ने सौ साल के रोज़े रखे, सौ साल रातों को जाग कर अल्लाह करीम की इ़बादत की और येह रजब की सत्ताईस तारीख़ है । (شُعَبُ الْاِیْمَان ،  ۳ / ۳۷۴ ،  حدیث : ۳۸۱۱)

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! रजबुल मुरज्जब के रोज़े रखने वालों के तो वारे ही नियारे हैं । रजबुल मुरज्जब के रोज़े रखने वालों के लिए अल्लाह पाक ने जन्नत में ख़ास मह़ल तय्यार फ़रमाया है, उन ख़ुश नसीबों को अल्लाह पाक "रजब" नामी नहर से सैराब फ़रमाएगा, उन के लिए दोज़ख़ के दरवाज़े बन्द और जन्नती दरवाज़े खोल दिए जाएंगे, उन के रोज़े गुनाहों के मिटने का ज़रीआ़ बन