Book Name:Khof e Khuda Main Rone Ki Ahamiyat
आयत का सजदा है बल्कि मुत़्लक़न सजदए तिलावत की निय्यत काफ़ी है । (دُرِّمُختار و ردالمحتار ، کتاب الصلوٰۃ ، باب سجود التلاوۃ ، ۲ / ۶۹۹) ٭ जो चीज़ें नमाज़ को फ़ासिद करती हैं, उन से सजदा भी फ़ासिद हो जाएगा (मसलन अपने इरादे से वुज़ू तोड़ने का इ़ल्म और कलाम करना और क़हक़हा लगाना) । (دُرِّمُختار و ردالمحتار ، کتاب الصلوٰۃ ، باب سجود التلاوۃ ، ۲ / ۶۹۹) ٭ सजदए तिलावत का त़रीक़ा येह है कि खड़ी हो कर "अल्लाहु अक्बर" केहती हुई सजदे में जाए और कम से कम तीन बार "سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْاَعْلٰی" कहे फिर "अल्लाहु अक्बर" केहती हुई खड़ी हो जाए, शुरूअ़ और बाद में दोनों बार "अल्लाहु अक्बर" केहना सुन्नत है और खड़ी हो कर सजदे में जाना और सजदे के बाद खड़ी होना, येह दोनों क़ियाम मुस्तह़ब । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा : 4, स. 80) ٭ सजदए तिलावत के लिए "अल्लाहु अक्बर" केहते वक़्त न हाथ उठाना है, न इस में तशह्हुद है, न सलाम । (تَنْوِیرُ الْاَبْصَار ، ج ۲ ، ص ۷۰۰) ٭ बालिग़ा होने के बाद जितनी बार भी आयाते सजदा सुन कर अभी तक सजदा न किया हो, उन का ग़ालिब गुमान के एतिबार से ह़िसाब लगा कर उतनी बार बा वुज़ू सजदए तिलावत कर लीजिए ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد