Book Name:Khof e Khuda Main Rone Ki Ahamiyat
जाएंगे और क़ियामत के दिन की ना क़ाबिले बरदाश्त गर्मी और भूक, प्यास में उन के खाने, पीने और आराम करने का इन्तिज़ाम किया जाएगा ।
नफ़्ल रोज़ों के इस क़दर ज़बरदस्त फ़ज़ाइलो बरकात सुनने के बाद तो हम में से हर एक को कोशिश करनी चाहिए कि फ़र्ज़ रोज़ों के साथ साथ नफ़्ल रोज़ों का भी कसरत से एहतिमाम किया करे । रजबुल मुरज्जब के आने से तो वैसे ही रोज़े रखने का गोया मौसिम शुरूअ़ हो जाता है, पेहले रजबुल मुरज्जब के रोजे़ फिर इस के बाद शाबानुल मुअ़ज़्ज़म के रोज़े । आइए ! अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ का नफ़्ल रोज़ों की तरग़ीब और फ़ज़ाइल पर मुश्तमिल एक ख़ूबसूरत मक्तूब सुनती हैं ।
بِسْمِ اللہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ ط सगे मदीना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी की जानिब से तमाम इस्लामी भाइयों, इस्लामी बहनों, मदारिसुल मदीना और जामिआ़तुल मदीना के असातिज़ा, त़लबा, मोअ़ल्लिमात और त़ालिबात की ख़िदमात में काबे शरीफ़ के गिर्द घूमता हुवा, गुम्बदे ख़ज़रा को चूमता हुवा, रजबुल मुरज्जब, शाबानुल मुअ़ज़्ज़म और रमज़ानुल मुबारक के रोज़ादारों की बरकतों से मालामाल झूमता हुवा सलाम :
اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ وَرَحْمَۃُ اللّٰہِ وَ بَرَکٰتُہٗ اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ عَلٰی کُلِّ حَالٍ
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ एक बार फिर ख़ुशी के दिन आ गए हैं, माहे रजबुल मुरज्जब की आमद हो चुकी है, इस माहे मुबारक में इ़बादत का बीज बोया जाता है, शाबानुल मुअ़ज़्ज़म में गुनाहों पर शर्मिन्दगी के आंसूओं से पानी दिया जाता और माहे रमज़ानुल मुबारक में रह़मत की फ़सल काटी जाती है ।
रजबुल मुरज्जब के क़द्रदानो ! सीखने और सिखाने और रिज़्के़ ह़लाल कमाने में रुकावट न हो, मां-बाप भी बे सबब मन्अ़ न करें, किसी का भी ह़क़ ज़ाएअ़ न होता हो, तो जल्दी जल्दी और बहुत जल्दी मुसल्सल तीन माह के या रमज़ानुल मुबारक के मुकम्मल फ़र्ज़ रोज़ों के साथ साथ जिस से जितने बन पड़ें उतने नफ़्ल रोज़ों के लिए कमर बस्ता हो जाए, सह़री और इफ़्त़ार में कम खाने की आ़दत बनाए । काश ! हर घर में और मेरे तमाम मदारिसुल मदीना और तमाम जामिआ़तुल मदीना में रोज़ों की बहारें आ जाएं, बस रजब शरीफ़ से ही रोज़ों का आग़ाज़ फ़रमा दीजिए ।
रजब के इब्तिदाई तीन रोज़ों की फ़ज़ीलत
रजब शरीफ़ के इब्तिदाई तीन रोज़ों के फ़ज़ाइल की भी क्या बात है ! ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا से रिवायत है, रसूल करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने रह़मत निशान है : रजब के पेहले दिन का रोज़ा तीन साल के गुनाहों को मिटा देता है, दूसरे दिन का रोज़ा दो साल के और तीसरे दिन का रोज़ा एक साल के गुनाहों को मिटा देता है फिर हर दिन का रोज़ा एक महीने के गुनाहों को मिटा देता है । (جامِع صغِیر لِلسُّیُوطی ، ص۳۱۱ ، حدیث : ۵۰۵۱ ، فَضائِلُ شَہْرِ رَجَب لِلخَلّال ، ص ۶۴)
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ नफ़्ल रोज़ों के भी बड़े फ़ज़ाइल हैं । आइए ! तरग़ीब के लिए 2 अह़ादीसे मुबारका सुनती हैं । चुनान्चे,