Book Name:Khuwaja Ghareeb Nawaz
ह़याई की बातें करने वाले, ह़म्दे इलाही, नाते मुस्त़फ़ा और मन्क़बते औलिया पढ़ने और सुन कर झूमने वाले हो गए, कई मॉडर्न नौजवान मक्के मदीने की ज़ियारत के लिए बे क़रार रेहने लगे, माल की मह़ब्बत में गिरिफ़्तार, फ़िक्रे आख़िरत रखने वाले बन गए । अमीरे अहले सुन्नत जैसी बुज़ुर्ग हस्ती का फै़ज़ान सिर्फ़ मुसलमानों तक मह़दूद नहीं रहा बल्कि इस्लाम के उजाले से दूर अन्धेरों में भटकने वाले कसीर ग़ैर मुस्लिमों को भी नूरे इस्लाम नसीब हुवा । अमीरे अहले सुन्नत की बनाई हुई मस्जिद बनाओ और ईमान बचाओ तह़रीक "दावते इस्लामी" दुन्या भर में दीन की ख़िदमत कर रही है । हम सब भी दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाएं और जितना हो सके ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में शिर्कत की सआ़दत ह़ासिल करें ।
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! रजबुल मुरज्जब का मुबारक महीना अपना फै़ज़ान तक़्सीम कर रहा है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इस महीने में नफ़्ल रोज़े रखने के बड़े फ़ज़ाइल व फ़वाइद हैं । प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जिस ने रजब का एक रोज़ा रखा, तो वोह एक साल के रोज़ों की त़रह़ होगा, जिस ने सात रोज़े रखे, उस पर दोज़ख़ के सातों दरवाज़े बन्द कर दिए जाएंगे, जिस ने आठ रोज़े रखे, उस के लिए जन्नत के आठों दरवाज़े खोल दिए जाएंगे, जिस ने दस रोज़े रखे, वोह अल्लाह पाक से जो कुछ मांगेगा, अल्लाह पाक उसे अ़त़ा फ़रमाएगा और जिस ने पन्द्रह रोज़े रखे, तो आसमान से एक एलान करने वाला एलान करता है कि तेरे पिछले गुनाह बख़्श दिए गए, पस तू नए सिरे से अ़मल शुरूअ़ कर कि तेरी बुराइयां नेकियों से बदल दी गईं और जो ज़ाइद करे, तो अल्लाह पाक उसे और ज़ियादा अज्र देगा । (شُعَبُ الْاِیمان،۳/۳۶۸ ،حدیث:۳۸۰۱, अज़ : फै़ज़ाने सुन्नत, स. 1365)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! रजबुल मुरज्जब के रोज़े रखने वालों के तो वारे ही नियारे हो जाते हैं, दुन्या में चन्द दिन की तक्लीफ़ बरदाश्त कर के माहे रजब के रोज़े रखने वाले, आख़िरत में रब्बे करीम की रह़मत के मज़े लूट रहे होंगे । हमें चाहिए कि हम भी आख़िरत में मिलने वाले इस बड़े अज्र के ह़क़दार बनने की कोशिश करें और फ़र्ज़ रोज़ों के साथ साथ नफ़्ल रोज़ों का भी एहतिमाम करें ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के बारे में सुन रहे थे । यक़ीनन अल्लाह पाक के वली के फ़रमान पर अ़मल,
ज़ाहिर के साथ साथ दिल को भी जगमगा देता है । ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की बारगाह में अ़क़ीदत रखने वालों और मुरीदों का हर वक़्त रश रेहता, जिन की ज़ाहिरी व दिली इस्लाह़ के लिए आप के इरशादात का सिलसिला जारी व सारी रेहता । ज़बाने फै़ज़ से जो अल्फ़ाज़ निकलते, आप के ख़लीफ़ा, ह़ज़रते ख़्वाजा क़ुत़्बुद्दीन बख़्तियार काकी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ उसे फ़ौरन लिख लिया करते । आइए ! पांच इरशादाते ग़रीब नवाज़ सुनते हैं । चुनान्चे,