Book Name:Khuwaja Ghareeb Nawaz

        प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! अगर अल्लाह वालों के ह़ालाते ज़िन्दगी का मुत़ालआ़ किया जाए, तो येह बात सामने आती है कि उन की ज़िन्दगी के मामूलात और उन की आ़दात, रब्बे करीम के अह़कामात और सुन्नते रसूल के मुत़ाबिक़ होती हैं । ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की सारी ज़िन्दगी शरीअ़तो सुन्नत के मुत़ाबिक़ गुज़री है । आइए ! आप की चन्द आ़दाते मुबारका के बारे में सुनते हैं ।

तिलावते क़ुरआन और शब बेदारी

          ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का मामूल था कि सारी रात इ़बादते इलाही में मसरूफ़ रेहते, ह़त्ता कि इ़शा के वुज़ू से नमाज़े फ़ज्र अदा करते और तिलावते क़ुरआन से इस क़दर मह़ब्बत व लगन थी कि दिन में दो क़ुरआने पाक ख़त्म फ़रमा लेते, मह़ब्बते क़ुरआन ऐसी थी कि दौराने सफ़र भी क़ुरआने पाक की तिलावत जारी रेहती । (मिरआतुल असरार, स. 595, बि तग़य्युरिन)

          ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! हमें भी तिलावते क़ुरआन की आ़दत बनानी चाहिए । रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : क़ियामत के दिन क़ुरआन पढ़ने वाला आएगा । क़ुरआन अ़र्ज़ करेगा : ऐ रब्बे करीम ! इसे जन्नत का लिबास पेहना । तो उसे बुज़ुर्गी का जन्नती लिबास पेहनाया जाएगा । फिर क़ुरआन अ़र्ज़ करेगा : ऐ रब्बे करीम ! इस में इज़ाफ़ा फ़रमा । तो उसे बुज़ुर्गी का ताज (Crown) पेहनाया जाएगा । फिर क़ुरआन अ़र्ज़ करेगा : ऐ रब्बे करीम ! इस से राज़ी हो जा । तो अल्लाह पाक उस से राज़ी हो जाएगा । (ترمذی،کتاب فضائل القرآن،باب ما جآء  فی من قرأ …الخ، ۴/۴۱۹، حدیث:۲۹۲۴)

          سُبْحٰنَ اللّٰہ ! आप ने सुना कि क़ुरआन पढ़ने वाले किस क़दर ख़ुश नसीब होते हैं कि क़ियामत के दिन क़ुरआने करीम की सिफ़ारिश पर उन्हें जन्नती लिबास व ताज पेहनाया जाएगा नीज़ रब्बे करीम की रिज़ा की ख़ुश ख़बरी से नवाज़े जाएंगे, लिहाज़ा हमें भी कसरत से क़ुरआने पाक पढ़ कर इन फ़ज़ाइल को पाने की कोशिश करनी चाहिए । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के तह़्त मुल्क व बैरूने मुल्क में कसीर मक़ामात पर मद्रसतुल मदीना बालिग़ान लगाए जाते हैं, जहां मुख़्तसर वक़्त में बड़ी उ़म्र के बालिग़ इस्लामी भाइयों को दुरुस्त क़वाइ़दो मख़ारिज के साथ क़ुरआने पाक की तालीम दी जाती है, आप ख़ुद भी इस में दाख़िला लीजिए और दूसरों को भी मद्रसतुल मदीना बालिग़ान में दाख़िल करवाइए, اِنْ شَآءَ اللّٰہ ख़ूब फै़ज़ाने क़ुरआन ह़ासिल होगा ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

कम खाने की आ़दत

          ऐ आ़शिक़ाने ग़रीब नवाज़ ! हम ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के बारे में सुन रहे थे, दीगर बुज़ुर्गाने दीन और औलियाए कामिलीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की त़रह़ आप भी ज़ियादा से ज़ियादा इ़बादते इलाही करने की ख़ात़िर बहुत ही कम खाना खाते ताकि खाने की कसरत की वज्ह से सुस्ती, नींद या ऊंघ इ़बादत में रुकावट का बाइ़स न बने । ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के बारे में मन्क़ूल है : आप सात रोज़ बाद दो, ढाई तोला वज़्न के बराबर रोटी पानी में भिगो कर खाया करते । (मिरआतुल असरार, स. 595, बि तग़य्युरिन)