Book Name:Khuwaja Ghareeb Nawaz
आइए ! ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के बचपन का एक बहुत ही प्यारा वाक़िआ़ सुनते हैं । चुनान्चे,
मन्क़ूल है : एक बार बचपन में ई़द के मौक़अ़ पर ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ अच्छा लिबास पेहने ई़द की नमाज़ के लिए जा रहे थे, रास्ते में एक नाबीना (Blind) लड़के पर आप की नज़र पड़ी जो फटे पुराने कपड़े पेहने हुवे था, जब ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने उस को देखा, तो आप को बहुत दुख हुवा, आप ने अपने कपड़े उस ग़रीब और नाबीना लड़के को दिए और ख़ुद दूसरे कपड़े पेहन कर उसे अपने साथ ई़दगाह ले गए । (मुई़नुल हिन्द, ह़ज़रते ख़्वाजा मुई़नुद्दीन अजमेरी, स. 22, बि तग़य्युरिन क़लील)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि ख़्वाजा मुई़नुद्दीन अजमेरी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ बचपन से ही कैसी बेहतरीन आ़दतों वाले थे, जो लोगों की मदद करते, लोगों के साथ अच्छे सुलूक से पेश आते, उन की तक्लीफे़ं और मुसीबतें दूर करने में ख़ुशी मह़सूस करते । येह ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की बरकतें थीं कि लोग आप के अच्छे अख़्लाक़ से मुतास्सिर हो कर बेहतरीन अख़्लाक़ वाले बन गए, اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आप की कोशिश से तक़रीबन नव्वे लाख अफ़राद मुसलमान हुवे । (मुई़नुल अरवाह़, स. 188, बि तग़य्युरिन)
हर दिल अ़ज़ीज़ बनने का नुस्ख़ा
ऐ आ़शिक़ाने ग़रीब नवाज़ ! ٭ हमें भी ख़ुश अख़्लाक़ी और नर्मी का मुज़ाहरा करना चाहिए । ٭ हर एक से मुस्कुरा कर मिलना चाहिए । ٭ दूसरों को मुकम्मल तवज्जोह देनी चाहिए । ٭ मुसलमानों को सलाम करना चाहिए । ٭ अच्छे अन्दाज़ में सुन्नत के मुत़ाबिक़ हाथ मिलाना चाहिए । ٭ अच्छे अन्दाज़ में मुलाक़ात करनी चाहिए । ٭ अच्छे त़रीके़ से ह़ाल पूछना चाहिए । ٭ अपनी ज़ात के लिए ग़ुस्सा नहीं करना चाहिए । ٭ हर एक को उस का जाइज़ मक़ाम देना चाहिए । ٭ दूसरों के ग़म दूर करने की कोशिश करनी चाहिए । ٭ दुख दर्द के मारों का दुख दर्द बांटना चाहिए । ٭ मजबूरों का सहारा बनना चाहिए । ٭ ग़रीबों की ज़रूरत पूरी करनी चाहिए । ٭ बड़ो का एह़तिराम करना चाहिए और ٭ छोटों पर मेहरबानी करनी चाहिए ।
यक़ीन मानिए ! येह तमाम आ़दात ऐसी हैं कि जो हमें बेहतरीन इन्सान बना सकती हैं, जिस का फ़ाएदा येह होगा कि हमें नेकी की दावत देना आसान हो जाएगा । हमारे बुज़ुर्गों के मक़्बूल होने की एक वज्ह येह भी थी कि वोह बहुत नर्मी करने और अच्छे अख़्लाक़ वाले होते थे, जभी तो लोग उन की त़रफ़ खिंचे चले जाते थे । प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने आ़लीशान है : लोगों को तुम अपने अम्वाल से ख़ुश नहीं कर सकते लेकिन तुम्हारी ख़ुश मिज़ाजी और ख़ुश अख़्लाक़ी उन्हें ख़ुश कर सकती है । (شعب الایمان ،۶/۲۵۴، رقم ۸۰۵۴)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد