Book Name:Khuwaja Ghareeb Nawaz
ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के लिबासे मुबारक में भी बहुत सादगी नज़र आती थी, आप का लिबासे मुबारक सिर्फ़ दो चादरों का था जिस में कई जोड़ लगे होते, गोया लिबास से भी सुन्नते मुस्त़फ़ा से बे पनाह मह़ब्बत की झलक दिखाई देती थी । जोड़ लगाने में भी इस क़दर सादगी इख़्तियार करते कि जिस रंग का कपड़ा मिल जाता, उसी को कपड़े में सी लेते । (मिरआतुल असरार, स. 595, मुलख़्ख़सन)
ह़ज़रते ख़्वाजा क़ुत़्बुद्दीन बख़्तियार काकी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ, अपने पीरो मुर्शिद, ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की ख़ूबियां बयान करते हुवे फ़रमाते हैं : मैं कई साल तक ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की ख़िदमते अक़्दस में ह़ाज़िर रहा लेकिन कभी आप की ज़बाने अक़्दस से किसी का राज़ ज़ाहिर होते नहीं देखा, आप कभी किसी मुसलमान का राज़ न खोलते । (ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ ह़यात व तालीमात, स. 41, मुलख़्ख़सन)
ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ बहुत नर्म त़बीअ़त होने के साथ साथ मुआ़फ़ी से काम लेने वाले बुज़ुर्ग थे, अगर कोई आप से बुरा सुलूक करता, तब भी आप ग़ुस्से में न आते बल्कि बोलने वाले से ऐसा अच्छा सुलूक (Behave) करते कि यूं लगता जैसे आप ने उस की बातें सुनी ही न हों । एक बार आप जब लाहोर से अजमेर शरीफ़ जाते हुवे देहली में रुके हुवे थे, तो एक ग़ैर मुस्लिम शख़्स आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ को क़त्ल करने के इरादे से आप के पास आया । आप को मालूम हो गया कि उस का क्या इरादा है । पता चल जाने के बा वुजूद भी आप उस से बड़ी मह़ब्बत से मिले और उसे अपने पास बिठा कर फ़रमाया : जिस इरादे से आए हो, उसे पूरा करो । येह बात सुन कर वोह शख़्स ह़ैरान हो गया, उसी वक़्त आप के क़दमों में गिर गया और मुआ़फ़ी का त़ालिब हुवा, ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने उसे मुआ़फ़ कर दिया । वोह शख़्स आप के मह़ब्बत भरे अन्दाज़ से ऐसा मुतास्सिर हुवा कि कलिमा पढ़ कर मुसलमान हो गया । ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने उस के लिए दुआ़ए ख़ैर भी फ़रमाई, जिस का येह असर हुवा कि उस ने 45 बार ह़ज की सआ़दत पाई और आख़िरी उ़म्र में ख़ानए काबा के ख़ादिमों में शामिल हो गया । (ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ ह़यात व तालीमात, स. 40, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ ख़्वाजए अजमेर से मह़ब्बत का दम भरने वालो ! ग़ौर कीजिए ! ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ कैसे अच्छे अख़्लाक़ के मालिक थे, क़त्ल का इरादा रखने वाले के साथ भी इन्तिहाई मह़ब्बत भरा बरताव किया । हमें सोचना चाहिए कि हम बुरा सुलूक करने वालों के साथ क्या मुआ़मला करते हैं ? अफ़्सोस ! आज दूसरों की ग़लत़ियों को मुआ़फ़ करने का सिलसिला ख़त्म होता जा रहा है, बाज़ लोग दूसरों की ग़लत़ियों को नोट कर लेते हैं और फिर हमेशा उन को