Book Name:Khuwaja Ghareeb Nawaz
एक दरया है । उ़मूमन किसी मम्बअ़ यानी पानी निकलने की जगह से अगर दरया बेहता हो, तो उसे ज़मीनों को सैराब करने (पानी देने) में मम्बअ़ की ह़ाजत नहीं होती लेकिन शरीअ़त वोह मम्बअ़ है कि इस से निकले हुवे दरया यानी त़रीक़त को हर आन (हर वक़्त) इस की ह़ाजत (ज़रूरत) है कि अगर शरीअ़त के मम्बअ़ से त़रीक़त के दरया का तअ़ल्लुक़ टूट जाए, तो सिर्फ़ येही नहीं कि आइन्दा के लिए उस में पानी नहीं आएगा बल्कि येह तअ़ल्लुक़ टूटते ही दरयाए त़रीक़त फ़ौरन फ़ना (ख़त्म) हो जाएगा । (फ़तावा रज़विय्या, 21 / 525, मुलख़्ख़सन, अज़ : फै़ज़ाने मदनी मुज़ाकरा, क़िस्त़ : 10, वलिय्युल्लाह की पेहचान, स. 21)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के बारे में सुन रहे थे । आइए ! ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का मुख़्तसर तआ़रुफ़ सुनते हैं :
ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का मुख़्तसर तआ़रुफ़
ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का नाम "ह़सन" है, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ मां-बाप की त़रफ़ से ह़सनी व ह़ुसैनी सय्यिद हैं, आप के मश्हूर अल्क़ाबात "मुई़नुद्दीन", "ख़्वाजा ग़रीब नवाज़", "सुल्त़ानुल हिन्द" और "अ़त़ाए रसूल" हैं । आप सिने 537 हिजरी में ईरान के अ़लाके़ "सन्जर" में पैदा हुवे । (معین الہند…الخ،ص۱۸ملخصاً۔اقتباس الانوار،ص۳۴۵) आप ने इ़ल्म ह़ासिल करने के लिए शाम, बग़दाद और किरमान समेत कई मुल्कों और शहरों के सफ़र किए, आप ने कई बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की सोह़बत इख़्तियार की, जिन में आप के पीरो मुर्शिद, ह़ज़रते ख़्वाजा उ़स्माने हरवनी और पीराने पीर, ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक, ह़ज़रते शैख़ सय्यिद अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْھِمَا भी शामिल हैं । (سیر الاقطاب، ص۱۴۲،ملخصاً) आप बचपन से ही परहेज़गार, अच्छे अख़्लाक़ वाले, शर्मो ह़या और अल्लाह पाक की ख़ात़िर दिल खोल कर माल ख़र्च करने वाले थे । आप अपने बचपन में आ़म बच्चों की त़रह़ खेल कूद से दूर रेहते थे, आप की शान येह थी कि बचपन में ही अपनी उ़म्र के बच्चों को मकान में लाते, उन को खाना खिलाते और इस पर ख़ुश होते । अपनी उ़म्र के बच्चों को नसीह़त करते हुवे फ़रमाते : बच्चो ! हम दुन्या में खेल कूद के लिए नहीं आए बल्कि हमारी ज़िन्दगियों का मक़्सद येह है कि अल्लाह करीम को राज़ी करें । (ग़रीब नवाज़, स. 18, बि तग़य्युरिन)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बचपन ज़िन्दगी का बुन्यादी मर्ह़ला है, येह अगर बेहतरीन ख़ूबियों, अच्छे अख़्लाक़ और नेक आ़दात की ख़ुश्बू से मालामाल हो, तो सारी ज़िन्दगी इस के आस पास घूमती रेहती है जब कि अगर इस उ़म्र में बुराइयों की आ़दतें पैदा हो जाएं, तो अगली उ़म्र में उन से पीछा छुड़ाना बहुत मुश्किल हो जाता है ।
अल्लाह पाक के नेक बन्दे बचपन से ही बे मिसाल ख़ूबियों के मालिक होते हैं । ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ को भी अल्लाह पाक ने बचपन ही से अच्छी ख़ूबियों से नवाज़ा था । आप का अच्छा सुलूक, नर्मी व भलाई और ग़रीबों की मदद करना बचपन ही से वाज़ेह़ था ।