Book Name:Khuwaja Ghareeb Nawaz

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : उस ने अ़र्ज़ की जिस के पास किताब का इ़ल्म था कि मैं उसे आप की बारगाह में आप के पलक झपकने से पेहले ले आऊंगा । (चुनान्चे) फिर जब सुलैमान ने उस तख़्त को अपने पास रखा हुवा देखा, तो फ़रमाया : येह मेरे रब के फ़ज़्ल से है ।

          आइए ! ह़ज़रते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के मुरीद, ह़ज़रते ख़्वाजा क़ुत़्बुद्दीन बख़्तियार काकी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के ख़लीफ़ा, पाक पतन (पंजाब, पाकिस्तान) की ज़मीन को अपने फै़ज़ान से मालामाल फ़रमाने वाले, ह़ज़रते बाबा फ़रीद رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का एक प्यारा वाक़िआ़ सुनते हैं, जिस से अन्दाज़ा होगा कि अल्लाह पाक ने अपने नेक बन्दों को कैसे कैसे इख़्तियारात अ़त़ा फ़रमाए हैं । चुनान्चे,

मिट्टी सोना बन गई !

          मन्क़ूल है : एक मरतबा एक ख़ातून, बाबा फ़रीद गंजे शकर رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की बारगाह में ह़ाज़िर हुई और अ़र्ज़ की : मेरी तीन जवान बेटियां हैं जिन की शादी करनी है, आप मदद फ़रमाइए । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने ख़ादिमों से फ़रमाया : जो कुछ भी आस्ताने में मौजूद है, वोह ख़ातून को दे दो । ख़ादिमों ने अ़र्ज़ की : ह़ुज़ूर ! आज कुछ भी बाक़ी नहीं बचा । येह सुन कर ख़ातून रोने लगी कि मैं बहुत मजबूर हूं और उम्मीद ले कर आई हूं । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने फ़रमाया : जाओ ! बाहर से एक मिट्टी का बड़ा टुक्ड़ा उठा लाओ । वोह मिट्टी का ढेला उठा लाई । ह़ज़रते बाबा फ़रीद गंजे शकर رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने बुलन्द आवाज़ से قُلْ ھُوَ اللہُ اَحَد पूरी सूरत पढ़ कर उस पर दम किया, तो वोह मिट्टी का टुक्ड़ा सोना (Gold) बन गया, येह देख कर सब बहुत ह़ैरान हो गए । ख़ातून ख़ुशी ख़ुशी सोना घर ले गई, ख़ुशी इस बात पर थी कि एक तो सोना मिल गया, साथ में सोना बनाने का त़रीक़ा भी मालूम हो गया, जब चाहूंगी, जितना चाहूंगी, सोना बना लिया करूंगी क्यूंकि सोना बनाने का त़रीक़ा भी तो है ना मेरे पास । घर जा कर उस ने भी पाक साफ़ हो कर قُلْ ھُوَ اللہُ اَحَد पूरी सूरत पढ़ कर मिट्टी के टुक्ड़े पर दम किया मगर वोह सोना न बन सका, 3 दिन तक वोह येही अ़मल करती रही मगर कोई फ़ाएदा न हुवा, मिट्टी मिट्टी रही, सोना न बनी । थक कर ह़ज़रते बाबा फ़रीद गंजे शकर رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की बारगाह में ह़ाज़िर हुई और केहने लगी : ह़ुज़ूर ! आप ने एक बार قُلْ ھُوَ اللہُ اَحَد पूरी सूरत पढ़ कर मिट्टी पर दम किया था, तो मिट्टी सोना बन गई, मैं ने भी येही सूरत पढ़ी, कई बार पढ़ी, बार बार पढ़ी लेकिन मिट्टी सोना नहीं बन सकी । बाबा फ़रीद رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाने लगे : तू ने अ़मल तो वोही कुछ किया जो मैं ने किया था मगर तेरे मुंह में फ़रीद की ज़बान न थी । (अल्लाह के सफ़ीर, स. 298, मुलख़्ख़सन)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! इस ह़िकायत से मालूम हुवा ! अल्लाह पाक के नेक बन्दे परेशानी में मुब्तला, ग़रीबों और मोह़ताजों की मदद फ़रमाते हैं, अगर किसी फ़क़ीर को देने के लिए कुछ मौजूद न हो, तब भी येह ह़ज़रात फ़क़ीर को ख़ाली हाथ नहीं लौटाते और अल्लाह पाक के अ़त़ा कर्दा इख़्तियारात को इस्तिमाल करते हुवे मिट्टी को सोना बना कर उस की मुराद पूरी कर देते हैं ।

          वाक़िए़ से येह भी ह़ासिल हुवा ! अल्लाह वालों की ज़बानों में एक ख़ास असर होता है, अल्लाह पाक ने इन्हें वोह मक़ाम अ़त़ा फ़रमाया होता है कि अगर येह निगाहे करम फ़रमा दें, तो