Book Name:Ikhtiyarat-e-Mustafa (12Shab)

(مستدرک،کتاب التفسیر، فرضیۃ الحج  فی العمر مرۃ  واحدۃ،۲/۱۱،حدیث:۳۲۱۰)

          سُبْحٰنَ اللّٰہ ! ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की शानो अ़ज़मत, इख़्तियारात और फ़िक्रे उम्मत का अन्दाज़ा इस बात से लगाइये कि हर साल ह़ज फ़र्ज़ कर देने का इख़्तियार होने के बा वुजूद उम्मत को मशक़्क़त से बचाने के लिये "हां" फ़रमा कर हर साल ह़ज को फ़र्ज़ न फ़रमाया, अलबत्ता अपने इख़्तियार का वाज़ेह़ त़ौर पर इज़्हार फ़रमा दिया कि अगर मैं "हां" कह देता, तो हर साल ही ह़ज करना फ़र्ज़ हो जाता ।

        याद रहे ! येह कोई पहला मौक़अ़ न था बल्कि बहुत से मवाक़ेअ़ पर सरकारे नामदार, उम्मत के ग़म ख़्वार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने हम गुनाहगारों की मशक़्क़त व दुशवारी का लिह़ाज़ करते हुवे शरई़ मसाइल में हमारी आसानियों का ख़ास ख़याल फ़रमाया । आइये ! इस ज़िमन में प्यारे आक़ा, मक्की मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़ुद मुख़्तारी और उम्मत के ह़क़ में आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़ैर ख़्वाही के बारे में तीन फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनिये और झूमिये ।

1- इरशाद फ़रमाया : لَوْلَا اَنْ اَشُقَّ عَلٰى اُمَّتِيْ لَفَـرَضْتُ عَلَيْہِمُ السِّوَاكَ كَمَا فَـرَضْتُ عَلَيْہِمُ الْوُضُو ْءَ अगर मुझे अपनी उम्मत की दुशवारी का ख़याल न होता, तो मैं ज़रूर उन पर मिस्वाक को उसी त़रह़ फ़र्ज़ कर देता जिस त़रह़ मैं ने उन पर वुज़ू फ़र्ज़ किया है । (مسند احمد،مسند الفضل بن عباس،۱/۴۵۹،حدیث:۱۸۳۵)

2- इरशाद फ़रमाया : لَوْلَا اَنْ اَشُقَّ عَلٰى اُمَّتِيْ لَاَمَرْتُهُمْ اَنْ يُّـؤََخِّـرُوا الْعِشَاءَ اِلٰى ثُلُثِ اللَّيْلِ اَوْ نِصْفِہٖ अगर मुझे अपनी उम्मत की मशक़्क़त का ख़याल न होता, तो मैं इ़शा की नमाज़ को तिहाई या आधी रात तक मुअख़्ख़र करने का ज़रूर ह़ुक्म देता । (ترمذی،کتاب الصلوۃ، باب ماجاء فی تاخیر صلوۃ العشاء الاخرۃ، ۱/۲۱۴،حدیث:۱۶۷)

3- इरशाद फ़रमाया : وَلَوْلاَ ضَعْفُ الضَّعِيفِ وَسُقْمُ السَّقِيمِ لَاَخَّرْتُ هٰذِهِ الصَّلَاةَ اِلٰى شَطْرِ اللَّيْلِ अगर बूढ़ों की कमज़ोरी और मरीज़ों की बीमारी का ख़याल न होता, तो इस नमाज़ (या'नी नमाज़े इ़शा) को आधी रात तक ज़रूर मुअख़्ख़र कर देता । (ابو داود،کتاب الصلوۃ، باب وقت العشاء الاخرۃ،۱/۱۸۵،حدیث:۴۲۲)