Book Name:Ikhtiyarat-e-Mustafa (12Shab)
बशर न समझते थे बल्कि उन का येह अ़क़ीदा था कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को अल्लाह पाक ने ह़राम व ह़लाल के अह़कामात में तब्दीली का मुकम्मल इख़्तियार दिया है और फिर ख़ुद नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने भी येह न फ़रमाया कि मुझे इस का इख़्तियार नहीं बल्कि अपने इख़्तियारात को इस्ति'माल करते हुवे इज़्ख़िर घास को ह़लाल व जाइज़ क़रार दे कर गोया उन के इस अ़क़ीदे पर अपनी मोहरे तस्दीक़ लगा दी ।
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! इख़्तियाराते मुस्त़फ़ा के अब तक बयान किये गए तमाम वाक़िआ़त उन चीज़ों या अह़कामात के बारे में हैं जिन में ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अपने इख़्तियारात से किसी फ़र्क़ के बिग़ैर अपनी उम्मत के तमाम अफ़राद के लिये आसानी अ़त़ा फ़रमाई । अब प्यारे आक़ा, मक्की मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के इख़्तियारात की वोह शान भी मुलाह़ज़ा कीजिये कि कोई चीज़ जो सारी उम्मत के लिये तो फ़र्ज़ व वाजिब हो कि अगर कोई छोड़ दे, तो गुनाहगार होगा मगर ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अपने ख़ुसूसी इख़्तियारात से एक या चन्द एक अफ़राद को उस फ़र्ज़ व वाजिब के छोड़ने की इजाज़त अ़त़ा फ़रमा दी, यूंही कोई चीज़ जो सारी उम्मत के लिये तो ह़राम व नाजाइज़ हो कि अगर कोई करे, तो गुनाहगार हो मगर आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने किसी ख़ास फ़र्द या मख़्सूस अफ़राद के लिये उस ह़राम व नाजाइज़ चीज़ को ह़लाल व जाइज़ फ़रमा दिया । आइये ! इस ज़िमन में भी इख़्तियाराते मुस्त़फ़ा के चन्द ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़त सुनते हैं ।
नमाज़ों की मुआ़फ़ी में इख़्तियारे नबवी
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! इस में कोई शक नहीं कि हर मुसलमान को दिन रात में पांच नमाज़ें पढ़ना फ़र्ज़ है, इस की फ़र्जि़य्यत का इन्कार "कुफ़्र " है और जान बूझ कर एक बार भी छोड़ने वाला गुनाहे कबीरा करने वाला और जहन्नम की आग का ह़क़दार है । जैसा कि नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : خَمْسُ صَلَوَاتٍ فِي الْيَوْمِ وَاللَّيْلَةِ दिन रात में पांच नमाज़ें (फ़र्ज़) हैं । (مسلم،کتاب الایمان،باب بیان الصلوات الخ،ص۲۴،حدیث:۱۱) मगर क़ुरबान जाइये ! सरकारे