Book Name:Ikhtiyarat-e-Mustafa (12Shab)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आज की इस अ़ज़ीम नूरानी रात में ह़ज़रते सय्यिदतुना आमिना رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا के गुल्शन के महकते फूल, रसूले मक़्बूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की शानो अ़ज़मत का मुबारक ज़िक्र कर के अपने दामन को रह़मतों और बरकतों से भरने की कोशिश करेंगे । आज के बयान में हम येह भी सुनेंगे कि अल्लाह पाक ने हमारे आक़ा, दो आ़लम के दाता صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को क्या क्या इख़्तियारात अ़त़ा फ़रमाए, ह़ुकूमते मुस्त़फ़ा कैसी शान वाली है, तवज्जोह के साथ सुनेंगे, समझेंगे, तो اِنْ شَآءَ اللّٰہ इस नूरानी रात की ख़ूब ख़ूब बरकतें व रह़मतें ह़ासिल होंगी ।
आइये ! बयान से क़ब्ल, आ़शिके़ माहे मीलाद व आ़शिक़े माहे रिसालत, शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के अ़त़ा कर्दा ना'रों से इस नूरानी रात का इस्तिक़्बाल करते हैं । हो सके तो मदनी परचम लहरा लहरा कर ख़ूब जोशो जज़्बे, मह़ब्बतो अ़क़ीदत के साथ मरह़बा या मुस्त़फ़ा की धूम मचाइये ।
सरकार की आमद...मरह़बा सरदार की आमद...मरह़बा
प्यारे की आमद...मरह़बा अच्छे की आमद...मरह़बा
सच्चे की आमद...मरह़बा सोहने की आमद...मरह़बा
मोहने की आमद...मरह़बा मुह़म्मद की आमद...मरह़बा
आमिना के फूल की आमद...मरह़बा
रसूले मक़्बूल की आमद...मरह़बा
मुख़्तार की आमद...मरह़बा मुख़्तार की आमद...मरह़बा मुख़्तार की आमद...मरह़बा
मरह़बा या मुस्त़फ़ा मरह़बा या मुस्त़फ़ा मरह़बा या मुस्त़फ़ा
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
दो आ़लम के मालिको मुख़्तार, शफ़ीए़ रोज़े शुमार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का इरशादे ह़क़ीक़त बुन्याद है : जब क़ियामत का दिन होगा, तो लोग इकठ्ठे हो