Book Name:Ikhtiyarat-e-Mustafa (12Shab)

भी अपने हाथों में और अपनी सुवारियों पर फ़ैज़ाने गुम्बदे ख़ज़रा और फ़ैज़ाने गुम्बदे ग़ौसो रज़ा से माला माल मदनी परचम उठाए जुलूसे मीलाद में शिर्कत करेंगे । ज़ोर से कहिये : اِنْ شَآءَ اللّٰہ ! और اِنْ شَآءَ اللّٰہ 12 रबीउ़ल अव्वल का रोज़ा भी रखेंगे कि हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ हर पीर को रोज़ा रखा करते थे और जब बारगाहे रिसालत में पीर के रोज़े के बारे में पूछा गया, तो इरशाद फ़रमाया : इसी दिन मेरी विलादत हुई और इसी दिन मुझ पर पहली वह़्य नाज़िल हुई । तो اِنْ شَآءَ اللّٰہ हम भी आज रोज़ा रखेंगे । हाथ उठा कर ज़ोर से कहिये : اِنْ شَآءَ اللّٰہ

बारहवीं तारीख़

      मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आज बारहवीं शब है और 12 के अ़दद से हम को प्यार है । इसी बारहवीं तारीख़ की प्यारी प्यारी निस्बत से आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के 12 हफ़्तावार इजतिमाआ़त में अव्वल ता आख़िर या'नी तिलावत, ना', बयान, ज़िक्र, दुआ़, रात ए'तिकाफ़, बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्क़ा और इश्राक़, चाश्त तक शिर्कत और अपने साथ इनफ़िरादी कोशिश कर के दो दो इस्लामी भाई साथ लाने की निय्यत कीजिये । इस इरादे से हाथ उठा कर ज़ोर से कहिये : اِنْ شَآءَ اللّٰہ

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की विलादते बा सआ़दत की ख़ुशी में रबीउ़ल अव्वल में बल्कि हो सके, तो हाथों हाथ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के 3 दिन के मदनी क़ाफ़िले में सफ़र की सआ़दत ह़ासिल कर लीजिये ।

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के इस प्यारे प्यारे मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाइये । आज की इस मुबारक रात की अ़ज़ीम घड़ियों में आ़शिक़ाने रसूल की सोह़बत ह़ासिल करते हुवे नेक आ'माल की अच्छी अच्छी निय्यतें कर लीजिये, फ़र्ज़ उ़लूम सीखने, रोज़ फ़िक्रे मदीना करने और मदनी क़ाफ़िलों में सफ़र करने की निय्यतें कर लीजिये ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد