Book Name:Ikhtiyarat-e-Mustafa (12Shab)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा आयत और इस की तफ़्सीर की रौशनी में वाज़ेह़ त़ौर पर मा'लूम हुवा कि अगर ग़ैरे ह़ामिला औ़रत का शौहर फ़ोत हो जाए, तो उस की इ़द्दत चार माह दस दिन है ।
आइये ! अब इस मुआ़मले में भी सरवरे आ़लम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का इख़्तियार मुलाह़ज़ा कीजिये । जैसा कि ह़ज़रते सय्यिदतुना अस्मा बिन्ते उ़मैस رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا के ह़क़ में चार माह दस दिन की मुद्दते इ़द्दत में कमी फ़रमा कर उन्हें सिर्फ़ तीन दिन तक सोग मनाने का ह़ुक्म इरशाद फ़रमाया । चुनान्चे, ह़ज़रते सय्यिदतुना अस्मा बिन्ते उ़मैस رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا फ़रमाती हैं : जब (मेरे शौहरे अव्वल) ह़ज़रते सय्यिदुना जा'फ़रे त़य्यार رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ शहीद हुवे, सरकारे नामदार, दो आ़लम के मालिको मुख़्तार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने मुझ से फ़रमाया : تَسَلَّبِـیْ ثَلٰـثًا ثُمَّ اِصْنَعِـیْ مَا شِئْتِ तीन दिन सिंगार (या'नी ज़ीनत) से अलग रहो फिर जो चाहो करो । (سنن الکبری،کتاب العدد،باب الاحداد،۷/۷۲۰،حدیث:۱۵۵۲۳)
आ'ला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ, नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के इख़्तियारात के ज़िमन में इस ह़दीसे पाक को नक़्ल करने के बा'द इरशाद फ़रमाते हैं : यहां ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उन को इस ह़ुक्मे आ़म से इस्तिस्ना (या'नी अलग) फ़रमा दिया कि औ़रत को शौहर पर चार महीने दस दिन सोग वाजिब है । (फ़तावा रज़विय्या, 30 / 529)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
एक शख़्स सरकारे नामदार, दो आ़लम के मालिको मुख़्तार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़िदमत में ह़ाज़िर हुवा और अ़र्ज़ की : मैं आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर ईमान लाना चाहता हूं मगर मैं शराब नोशी, बदकारी, चोरी और झूट का आ़दी हूं और लोग येह कहते हैं कि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ इन चीज़ों को