Book Name:Aaqa Ka Safar e Meraj (Shab-e-Mairaj-1440)

आसमान (5) पांचवां आसमान (6) छटा आसमान (7) सातवां आसमान (8) सिदरतुल मुन्तहा (9) मक़ामे मुस्तवा जहां पर मेहरबान आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने क़लमे क़ुदरत के चलने की आवाज़ें सुनीं और (10) अ़र्शे आ'ज़म । (روح المعانی،پ۱۵، الاسرا ء، تحت الایۃ:۱، ۱۵/ ۱۵ ملخصاً)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

जन्नत का मुशाहदा

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने जहां अल्लाह पाक की दीगर कई बड़ी बड़ी निशानियों को देखा, वहीं इस मुबारक सफ़र (Journey) की एक ख़ास बात येह भी थी कि नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने रब्बे करीम की एक अ़ज़ीमुश्शान निशानी या'नी जन्नत और वहां मौजूद ने'मतों को भी अपनी मुबारक आंखों से मुलाह़ज़ा फ़रमाया । आइये ! सुनते हैं कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने वहां क्या क्या मुलाह़ज़ा फ़रमाया । चुनान्चे,

आ़लीशान जन्नती मह़ल

          ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ली رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है : एक बार अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर फ़ारूके़ आ'ज़म رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने बारगाहे रिसालत में अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! मुझे भी बताइये कि मे'राज की रात आप ने जन्नत में क्या क्या देखा ? रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : ऐ इबने ख़त़्त़ाब ! अगर मैं तुम्हारे दरमियान इतना अ़र्सा रहूं जितना अ़र्सा ह़ज़रते नूह़ عَلَیْہِ السَّلَام अपनी क़ौम में रहे और फिर मैं तुम्हें वोह जन्नती वाक़िआ़त और वहां देखी हुई चीज़ों के बारें में बताऊं, तो भी वोह ख़त्म न हों लेकिन ऐ उ़मर ! जब तुम ने मुझ से येह पूछ ही लिया है कि मुझे भी जन्नत के बारे में बताइये, तो फिर मैं तुम्हें वोह बात बताता हूं जो तुम्हारे इ़लावा मैं ने किसी को न बताई । (सुनो !) मैं ने जन्नत में एक ऐसा आ़लीशान मह़ल (Palace) देखा जिस की चौख़ट जन्नती ज़मीन के नीचे थी और उस का ऊपर वाला ह़िस्सा अ़र्श के दरमियान में था । मैं ने जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام से पूछा : ऐ जिब्रईल ! क्या तुम इस आ़लीशान मह़ल के बारे में जानते हो जिस की चौख़ट जन्नती ज़मीन के नीचे और ऊपरी ह़िस्सा अ़र्श के दरमियान में है ? जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! मैं नहीं जानता । मैं ने फिर पूछा : ऐ जिब्रईल ! इस मह़ल की रौशनी तो ऐसी है जैसे दुन्या में सूरज की रौशनी, चलो ! येही बता दो कि इस तक कौन पहुंचेगा ? और इस में कौन रिहाइश इख़्तियार करेगा ? तो जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! इस मह़ल में वोह रहेगा जो सिर्फ़ ह़क़ बात कहता है, ह़क़ बात की हिदायत देता है, जब उसे कोई ह़क़ बात कहता है, तो वोह ग़ुस्सा नहीं करता और उस का ह़क़ पर ही इन्तिक़ाल होगा । मैं ने पूछा : ऐ जिब्रईल ! क्या तुम्हें उस का नाम मा'लूम है ? अ़र्ज़ की : जी हां ! या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! वोह एक ही शख़्स तो है । मैं ने पूछा : ऐ जिब्रईल ! वोह एक शख़्स कौन है ? अ़र्ज़ की : ह़ज़रते उ़मर बिन ख़त़्त़ाब (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ) । येह