Book Name:Aaqa Ka Safar e Meraj (Shab-e-Mairaj-1440)

फ़रमानों पर होने वाले मुख़्तलिफ़ क़िस्म के दर्दनाक अ़ज़ाबात को भी मुलाह़ज़ा फ़रमाया । चुनान्चे,

लोगों की ग़ीबत और ऐ़बजूई करने वालों का दर्दनाक अन्जाम

          करीम आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ कुछ ऐसे लोगों के पास से गुज़रे जिन पर कुछ अफ़राद मुक़र्रर थे, इन में से बा'ज़ अफ़राद ने उन लोगों के जबड़े खोल रखे थे और बा'ज़ दूसरे अफ़राद उन का गोश्त काटते और ख़ून के साथ ही उन के मुंह में धकेल देते । प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने पूछा : ऐ जिब्रईल ! येह कौन लोग हैं ? अ़र्ज़ की : येह लोगों की ग़ीबतें और उन की ऐ़बजूई करने वाले हैं ।

 (مسند الحارث، كتاب الايمان، باب ما جاء فى الاسراء، ۱/۱۷۲، حديث:۲۷)

          रसूले अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने दोज़ख़ में ऐसे लोग भी देखे जो आग की शाख़ों से लटके हुवे थे । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने पूछा : ऐ जिब्रईल ! येह कौन लोग हैं ? अ़र्ज़ की : येह वोह लोग हैं जो दुन्या में अपने वालिदैन को गालियां देते थे । (الزواجر، كتاب النفقات على الزوجات...الخ، الكبيرة الثانية بعد الثلاثمائة،۲/۱۲۵)

          इस रात नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ऐसे लोगों के पास भी तशरीफ़ लाए जिन के आगे और पीछे चीथड़े लटक रहे थे और वोह चार टांगों वाले जानवरों की त़रह़ चरते हुवे कांटों वाली घास, कांटों वाला दरख़्त और जहन्नम के तपे हुवे (या'नी गर्म) पथ्थर निगल रहे थे । नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने पूछा : ऐ जिब्रईल ! येह कौन लोग हैं ? अ़र्ज़ की : येह वोह लोग हैं जो अपने मालों की ज़कात नहीं देते थे, अल्लाह पाक ने इन पर ज़ुल्म नहीं किया और अल्लाह पाक बन्दों पर ज़ुल्म नहीं फ़रमाता ।

(الترغيب والترهيب، كتاب الصدقات، الترهيب من منع الزكاة...الخ، ص۲۶۳،حديث:۱۵)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ग़ौर कीजिये ! ग़ीबत करना, ऐ़ब खोलना, वालिदैन को गालियां देना और फ़र्ज़ हो जाने के बा वुजूद ज़कात न देना किस क़दर तबाही व बरबादी वाले काम हैं । अफ़्सोस ! हमारे मुआ़शरे में येह चारों गुनाह बहुत ज़ियादा आ़म होते जा रहे हैं और इस कसरत से हो रहे हैं कि अल्लाह पाक की पनाह ! लिहाज़ा इन बुरे कामों में मश्ग़ूल लोगों को चाहिये कि वोह जल्द अज़ जल्द इन बुरे कामों को छोड़ कर सच्ची तौबा कर लें, वरना अगर येह मौक़अ़ हाथ से निकल गया और तौबा से पहले ही मौत आ गई, तो फिर हलाकत ही हलाकत है ।

          याद रहे ! दुन्या की ज़िन्दगी चन्द दिन की है जब कि आख़िरत की ज़िन्दगी हमेशा रहने वाली है । यक़ीनन कामयाब वोही है जो अपने गुनाहों से सच्ची तौबा कर के अपनी आख़िरत संवारने में लगा रहे, अल्लाह पाक और रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की रिज़ा के काम कर के जन्नत में दाख़िल हो जाए । अल्लाह पाक पारह 4, सूरए आले इ़मरान की आयत नम्बर 185 में इरशाद फ़रमाता है :