Book Name:Aaqa Ka Safar e Meraj (Shab-e-Mairaj-1440)
فَمَنْ زُحْزِحَ عَنِ النَّارِ وَ اُدْخِلَ الْجَنَّةَ فَقَدْ فَازَؕ-وَ مَا الْحَیٰوةُ الدُّنْیَاۤ اِلَّا مَتَاعُ الْغُرُوْرِ(۱۸۵) (پ۴، آل عمران: ۱۸۵)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : जिसे आग से बचा लिया गया और जन्नत में दाख़िल कर दिया गया, तो वोह कामयाब हो गया और दुन्या की ज़िन्दगी तो सिर्फ़ धोके का सामान है ।
तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान, जिल्द 2, सफ़ह़ा नम्बर 112 पर लिखा है : इस आयते करीमा से मा'लूम हुवा ! क़ियामत में ह़क़ीक़ी काम्याबी येह है कि बन्दे को जहन्नम से नजात दे कर जन्नत में दाख़िल कर दिया जाए जब कि दुन्या में काम्याबी अपनी ज़ात में काम्याबी तो है लेकिन अगर येह काम्याबी आख़िरत में नुक़्सान पहुंचाने वाली है, तो ह़क़ीक़त में येह नुक़्सान का सबब है और ख़ुसूसन वोह लोग कि दुन्या की काम्याबी के लिये सब कुछ करें और आख़िरत की काम्याबी के लिये कुछ न करें, वोह तो यक़ीनन नुक़्सान ही में हैं । लिहाज़ा हर मुसलमान को चाहिये कि वोह ऐसे आ'माल की त़रफ़ ज़ियादा तवज्जोह दे और उन के लिये ज़ियादा कोशिश करे जिन से उसे ह़क़ीक़ी काम्याबी नसीब हो सकती है और उन आ'माल से बचे जो उस की ह़क़ीक़ी काम्याबी की राह में रुकावट बन सकते हैं ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد