Book Name:Aaqa Ka Safar e Meraj (Shab-e-Mairaj-1440)
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आज 1440 सिने हिजरी के र-जबुल मुरज्जब की 27वीं रात है या'नी "शबे मे'राज" है । अल्लाह करीम का लाख लाख शुक्र है कि उस ने एक मरतबा फिर हमें येह फ़ज़ाइलो बरकात वाली अ़ज़ीमुश्शान और मुक़द्दस रात अ़त़ा फ़रमाई । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आज की रात वोह अ़ज़ीम और जगमगाती रात है जिस में मे'राज की रात प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को एक अ़ज़ीम मो'जिज़ा अ़त़ा हुवा । आज की रात तमाम फ़िरिश्तों के सरदार, ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام, नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़िदमते अक़्दस में इन्तिहाई तेज़ रफ़्तार सुवारी बुराक़ ले कर ह़ाज़िर हुवे, आक़ा करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को दुल्हा बनाया, निहायत एह़तिराम के साथ बुराक़ पर सुवार किया गया, रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ रातों रात मक्के शरीफ़ से बैतुल मक़्दिस पहुंचे, नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का इस्तिक़्बाल किया, नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने सारे नबियों की इमामत फ़रमाई । आज की रात रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने सारे आसमानों की सैर फ़रमाई और उस के अ़जाइबात देखे । आज की रात मेहरबान आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने हर हर आसमान पर अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام से मुलाक़ात फ़रमाई । आज की रात नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सिदरतुल मुन्तहा पर भी गए । इस मक़ाम पर पहुंच कर जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने आगे जाने से मा'ज़िरत कर ली । आज की रात आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उस मक़ाम पर भी पहुंचे जहां अ़क़्ल की भी रसाई नहीं । आज की रात रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को ख़ुसूसी इनआ़मात अ़त़ा हुवे । आज की रात रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को इब्तिदाअन 50 नमाज़ों का तोह़्फ़ा अल्लाह करीम की बारगाह से अ़त़ा हुवा, जो कम होने के बा'द पांच नमाज़ों की सूरत में हम पर फ़र्ज़ किया गया । आज की रात नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने जन्नत और दोज़ख़ को मुलाह़ज़ा फ़रमाया, आज की रात करीम आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को अल्लाह पाक का क़ुर्बे ख़ास ह़ासिल हुवा, आज की रात नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने सर की आंखों से रब्बे करीम का दीदार किया । आइये ! सफ़रे मे'राज के ईमान अफ़रोज़ और दिलचस्प पहलूओं के बारे में सुनते हैं । चुनान्चे,
सफ़रे मे'राज का ख़ुलासा
तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान, जिल्द 5, सफ़ह़ा नम्बर 414 और 415 पर है : मे'राज की रात ह़ज़रते (सय्यिदुना) जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام बारगाहे रिसालत में ह़ाज़िर हुवे, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को मे'राज की ख़ुश ख़बरी सुनाई और आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का मुक़द्दस सीना खोल कर उसे आबे ज़मज़म (ज़मज़म के पानी) से धोया फिर उसे ह़िक्मत व ईमान से भर दिया । इस के बा'द ताजदारे रिसालत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह में बुराक़ (नामी सुवारी) पेश की और इन्तिहाई इकराम (इ़ज़्ज़त) व एह़तिराम के साथ उस पर सुवार कर के मस्जिदे अक़्सा की त़रफ़ ले गए । बैतुल मक़्दिस में रसूले अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने तमाम अम्बिया व मुर्सलीन (रसूलों) عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام की इमामत फ़रमाई फिर वहां से आसमानों की सैर की त़रफ़ मुतवज्जेह हुवे । ह़ज़रते (सय्यिदुना) जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने बारी