Book Name:Aaqa Ka Safar e Meraj (Shab-e-Mairaj-1440)

आज नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ जो कि सब से आख़िरी रसूल हैं, पहले के अम्बिया व रुसुल عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام की इमामत फ़रमा रहे हैं ।

अल्लाह की इ़नायत मरह़बा !          मे'राज की अ़ज़मत मरह़बा !

अक़्सा  की  शौकत  मरह़बा !          बुराक़ की क़िस्मत मरह़बा !

बुराक़  की  सुरअ़त  मरह़बा !          नबियों की इमामत मरह़बा !

आक़ा  की  रिफ़्अ़त  मरह़बा !         आसमां की सियाह़त मरह़बा !

मकीने ला मकां की अ़ज़मत मरह़बा !

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

किताब " फै़ज़ाने मे'राज" का तआ़रुफ़

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सफ़रे मे'राज के बारे में मज़ीद मा'लूमात के लिये मक्तबतुल मदीना की किताब "फै़ज़ाने मे'राज" का मुत़ालआ़ करना बेह़द मुफ़ीद है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इस किताब में ٭ मे'राज के तरतीब वार मराह़िल की तफ़्सीलात । ٭ मस्जिदे ह़राम से मस्जिदे अक़्सा तक के सफ़र के मुशाहदात । ٭ आसमानी सफ़र और जन्नत व दोज़ख़ के मुशाहदात । ٭ अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام से मुलाक़ात  की तफ़्सीलात । ٭ बहुत से मा'लूमाती मदनी फूल और ٭ मे'राज शरीफ़ के तअ़ल्लुक़ से चन्द ना'तिया कलाम वग़ैरा निहायत उ़म्दा व आसान अन्दाज़ में बयान किये गए हैं । लिहाज़ा आज ही इस किताब को मक्तबतुल मदीना के बस्ते से हदिय्यतन त़लब कर के ख़ुद भी इस का मुत़ालआ़ फ़रमाइये, दूसरे इस्लामी भाइयों को भी इस की तरग़ीब दिलाइये । इस किताब को दा'वते इस्लामी की वेबसाइट www.dawateislami.net से पढ़ा भी जा सकता है, डाउन लोड (Download) और प्रिन्ट आउट (Print Out) भी किया जा सकता है ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! जब नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ आसमानों की सैर फ़रमा कर और अल्लाह पाक की निशानियों को मुलाह़ज़ा फ़रमा कर आसमान से ज़मीन पर तशरीफ़ लाए, बैतुल मक़्दिस में दाख़िल हुवे और बुराक़ पर सुवार हो कर मक्कए मुकर्रमा के लिये रवाना हुवे । रास्ते में नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने बैतुल मक़्दिस से मक्के तक तमाम मन्ज़िलों और क़ुरैश के क़ाफ़िलों को भी देखा । इन तमाम मराह़िल के त़ै होने के बा'द रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मस्जिदे ह़राम में पहुंच कर चूंकि अभी रात का काफ़ी ह़िस्सा बाक़ी था, आराम फ़रमा हो गए । जब नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुब्ह़ को बेदार हुवे और रात के वाक़िआ़त क़ुरैश के सामने बयान फ़रमाने लगे, तो क़ुरैश के सरदारों को सख़्त तअ़ज्जुब हुवा, यहां तक कि बा'ज़ बद नसीबों ने रसूले अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को مَعَاذَ اللّٰہ झूटा कहा और बा'ज़ ने मुख़्तलिफ़ सुवालात (Questions) किये । चूंकि क़ुरैश के अक्सर सरदारों ने बार बार बैतुल मक़्दिस को देखा था, वोह येह भी जानते थे कि रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ कभी भी बैतुल मक़्दिस नहीं गए हैं, इस लिये इम्तिह़ान के