Book Name:Aaqa Ka Safar e Meraj (Shab-e-Mairaj-1440)

सह़ीफ़ों में नक़्ल करते हैं और फिर येह सह़ीफे़ शा'बान की पन्द्रहवीं शब मुतअ़ल्लिक़ा ह़ुक्काम फ़िरिश्तों के ह़वाले कर दिये जाते हैं । (मिरआतुल मनाजीह़, 8 / 155)

शा'बानुल मुअ़ज़्ज़म से ख़ास मह़ब्बत

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! वाके़ई़ नामए आ'माल तब्दील होने के ह़वाले से माहे शा'बानुल मुअ़ज़्ज़म निहायत ही अहम्मिय्यत का ह़ामिल है और आने वाला मदनी या'नी क़मरी महीना "शा'बानुल मुअ़ज़्ज़म" है । हमें चाहिये कि फ़राइज़ व वाजिबात की अदाएगी के साथ साथ माहे शा'बानुल मुअ़ज़्ज़म में नफ़्ल नमाज़ों और नफ़्ल रोज़ों का भी ख़ूब ख़ूब एहतिमाम किया करें । आक़ा करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इस माहे मुबारक को अपनी त़रफ़ मन्सूब करते हुवे इरशाद फ़रमाया : شَعْبَانُ شَھْرِیْ وَ رَمَضَانُ شَھْرُ اللہ या'नी शा'बान मेरा महीना है और रमज़ानुल मुबारक अल्लाह करीम का महीना है । (جامع صغیر،حرف الشین،ص۳۰۱،حدیث: ۴۸۸۹) اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! इस माहे मुबारक के रोज़ों के भी बहुत ज़ियादा फ़ज़ाइल हैं । चुनान्चे,

1.      रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने अ़ज़मत निशान है : (रमज़ान के बा'द) सब से अफ़्ज़ल शा'बान के रोज़े हैं, ता'ज़ीमे रमज़ान के लिये ।

(شعب الایمان، ۳ /۳۷۷، حدیث:۳۸۱۹)

2.      नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पूरे शा'बान के रोज़े रखा करते थे । ह़ज़रते सय्यिदतुना आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! क्या सब महीनों में आप के नज़दीक ज़ियादा पसन्दीदा शा'बान के रोज़े रखना है ? तो प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह करीम इस साल मरने वाली हर जान को लिख देता है और मुझे येह पसन्द है कि मेरा वक़्ते रुख़्सत आए और मैं रोज़े की ह़ालत से हूं । (مُسندِابویعلٰی، ۴/۲۷۷، حدیث: ۴۸۹۰)

          अल्लाह पाक हमें आक़ा करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सदके़ शा'बान और फिर माहे रमज़ान के सारे रोज़े रखने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए । काश ! हम पूरे माहे रमज़ान का या आख़िरी अ़शरे का ए'तिकाफ़ करने में कामयाब हो जाएं, काश ! अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ ख़ूब ख़ूब मदनी अ़त़िय्यात जम्अ़ करने की तौफ़ीक़ मिल जाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ  عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

जन्नत के दरवाज़े पर लिखी तह़रीर

          ह़ज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिक رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है : नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जिस रात मुझे मे'राज हुई, मैं ने जन्नत के दरवाज़े पर येह लिखा हुवा देखा कि सदके़ का सवाब दस गुना और क़र्ज़ का अठ्ठारह गुना है । मैं ने जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام से दरयाफ़्त किया : क्या सबब है कि क़र्ज़ का दरजा सदके़ से बढ़ गया है ? उन्हों ने कहा कि सुवाल करने वाले के पास माल होता है और फिर भी सुवाल करता है