Book Name:Aaqa Ka Safar e Meraj (Shab-e-Mairaj-1440)

( البعث والنشور للبیھقی، باب ما جاء فی صفة الحور العین،ص۲۱۵، حدیث:۳۴۰)

जन्नती नहरें और परिन्दे

          नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ फ़रमाते हैं : (मे'राज की रात) मेरा दाख़िला जन्नत में हुवा, मैं ने देखा कि उस के संगरेज़े मोतियों के और उस की मिट्टी मुश्क की थी । (بخارى، كتاب احاديث الانبياء، باب ذكر ادريس عليه السلام، ۲/۴۱۷ ، الحديث:۳۳۴۲ ،ملتقطاً) फिर चार नहरें देखीं, एक पानी की जो तब्दील नहीं होता, दूसरी दूध की जिस का ज़ाइक़ा नहीं बदलता, तीसरी शराब की जिस में पीने वालों के लिये सिर्फ़ लज़्ज़त है (नशा बिल्कुल नहीं), चौथी नहर पाकीज़ा और साफ़ सुथरे शहद (Honey) की । जन्नत के परिन्दे ऊंटों की त़रह़ थे, उस में अल्लाह करीम ने अपने नेक बन्दों के लिये ऐसे ऐसे इनआ़मात तय्यार कर रखे हैं जिन्हें किसी आंख ने देखा, न किसी कान ने सुना और न किसी इन्सान के दिल में इस का ख़याल गुज़रा । (دلائل النبوة للبيهقى، جماع ابواب المبعث، باب الدليل...بالافق الاعلٰى،۲/۳۹۴)

इमामुल अम्बिया तुम हो

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! सफ़रे मे'राज का एक पहलू (Aspect) येह भी है कि नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इस रात तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام की इमामत फ़रमाई । जैसा कि ह़दीसे पाक में है : मैं उस (बुराक़) पर सुवारी करता हुवा बैतुल मक़्दिस तक पहुंचा और जिस जगह अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام अपनी सुवारियों को बांधते थे, वहां मैं ने उस को बांध दिया फिर मैं मस्जिदे (अक़्सा) में दाख़िल हुवा और उस में दो रक्अ़त नमाज़ अदा की । (مسلم ،کتاب الایمان ، باب الاسراء برسول اللہ …الخ ،ص۸۷،حدیث۴۱۱،ملتقطا)

        मश्हूर वलिय्ये कामिल, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मख़्दूम मुह़म्मद हाशिम ठठवी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : इस नमाज़ में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام के इमाम थे । (सीरते सय्यिदुल अम्बिया, स. 128, मुलख़्ख़सन) (क्यूंकि) प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बुलन्द शान को ज़ाहिर करने के लिये बैतुल मक़्दिस में तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام को जम्अ़ किया गया था । (نسائى، كتاب الصلاة، باب فرض الصلاة...الخ، ص۸۱، حديث:۴۴۸ملخصاً) जब आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ यहां तशरीफ़ लाए, तो उन सब ह़ज़रात ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को देख कर "ख़ुश आमदीद !" कहा और नमाज़ के वक़्त सब ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को इमामत के लिये आगे किया और आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام की इमामत फ़रमाई ।

(معجم اوسط ،من اسمه على،۳/۶۵،حديث:۳۸۷۹ملخصاً)

            سُبْحٰنَ اللّٰہ ! क्या ख़ूब नमाज़ है कि तमाम अम्बिया व रुसुल नमाज़ी बने, रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ इमाम और पहला क़िब्ला जाए नमाज़ है, यक़ीनन काइनात में ऐसी नमाज़ पहले कभी नहीं हुई, आसमान ने ऐसा नज़्ज़ारा कभी नहीं देखा । बहर ह़ाल आज नबिय्ये रह़मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के अव्वल और आख़िर होने का राज़ (Secret) भी खुल गया, इस राज़ से भी पर्दा उठ गया और मा'ना रोज़े रौशन की त़रह़ वाज़ेह़ हो गए क्यूंकि